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- क्या है थैलेसीमिया कितने प्रकार का होता है..?
Posted by : achhiduniya
05 March 2019
थैलेसीमिया एक आनुवांशिक (जेनेटिक) रक्त विकार है, जो कि शरीर की स्वस्थ हीमोग्लोबिन बनाने की
क्षमता को प्रभावित करता है। हीमोग्लोबिन आयरन से भरपूर प्रोटीन है, जो कि लाल रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। शरीर
के सभी हिस्सों तक आक्सीजन पहुंचाने और फेफड़ों से कार्बन डाइआक्साइड बाहर निकालने
के लिए होती है। थैलेसीमिया कितने प्रकार का होता है? थैलेसीमिया के बहुत से प्रकार होते हैं। इसके लक्षण
और गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि कितने वंशाणु (जीन्स) परिवर्तित (म्यूटेट)
हुए हैं और हीमोग्लोबिन का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है। हीमोग्लोबिन प्रोटीन की
दो एक जैसी कड़ियों (चैन) से बना होता है- एल्फा चैन और बीटा चैन। दो मुख्य तरह के
थैलेसीमिया हैं:- एल्फा थैलेसीमिया, जो कि करीब चार वंशाणुओं तक में तब्दीली
(म्यूटेशन) आने से होता है।
बीटा थैलेसीमिया जो कि 200 से ज्यादा वंशाणुओं में परिवर्तन होने
से हो सकता है और यह एल्फा थैलेसीमिया की तुलना में बहुत
ज्यादा आम है। ये दोनों तरह के थैलेसीमिया दक्षिण एशियाई मूल के लोगों में काफी आम
हैं। ऊपर दिए गए थैलेसीमिया के दो प्रकारों के कुछ उप-प्रकार भी होते हैं, जिनके बारे में आगे दिया गया है:- थैलेसीमिया माइनर:- जो कि माता-पिता में से किसी एक से थैलेसीमिया
आनुवांशिक विकार मिलने पर होता है। अगर, आपको
थैलेसीमिया माइनर है, तो आप इस बीमारी के वाहक हैं। मगर आपको
सामान्यत: स्वास्थ्य समस्याएं नहीं होंगी। थैलेसीमिया मेजर:- अधिक गंभीर रक्त विकार होते हैं, जिनका मतलब है कि ये खराब वंशाणु आपको अपने माता
व पिता दोनों से प्राप्त हुए हैं।
एल्फा थैलेसीमिया मेजर की तुलना में बीटा
थैलेसीमिया मेजर शिशुओं और बच्चों में अधिक आम है। ऐसा इसलिए क्योंकि दुर्भाग्यवश
एल्फा थैलेसीमिया मेजर से ग्रस्त कुछ ही शिशु गर्भावस्था या जन्म के बाद बच पाते
हैं। आपको थैलेसीमिया मेजर होने का पता चल जाएगा, क्योंकि आपको
इस बीमारी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं हो रही होंगी और आपका नियमित उपचार व दवाएं
चल रही होंगी। हालांकि, थैलेसीमिया माइनर से ग्रस्त लोगों को इसके
बारे में पता न होना काफी आम है, क्योंकि आमतौर
पर इसके कोई लक्षण नहीं होते हो सकता है।