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- आज भी स्वयं मां गंगा करती हैं भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक…..
Posted by : achhiduniya
30 July 2019
झारखंड के रामगढ़ जिले में स्थित प्राचीन शिव मंदिर को लोग टूटी
झरना के नाम से जानते है। मंदिर का इतिहास 1925 से जुड़ा हुआ
है और माना जात है कि तब अंग्रेज इस इलाके से रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे।
पानी के लिए खुदाई के दौरान उन्हें जमीन के अन्दर कुछ गुम्बदनुमा चीज दिखाई
पड़ा। अंग्रेजों ने इस बात को जानने के लिए
पूरी खुदाई करवाई और अंत में ये मंदिर पूरी तरह से नजर आया। झारखंड के रामगढ़ के
मंदिर में जहां भगवान शंकर के शिवलिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा
करती हैं। मंदिर की खासियत यह है कि यहां जलाभिषेक साल के बारह महीने और चौबीस
घंटे होता है।
यह पूजा सदियों से चली आ रही है। इस जगह का उल्लेख पुराणों में भी
मिलता है। भक्तों की आस्था है कि यहां पर मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। मंदिर
के अन्दर भगवान भोले का शिव लिंग और उसके ठीक ऊपर मां गंगा की सफेद रंग की
प्रतिमा। प्रतिमा के नाभी से आपरूपी जल निकलता रहता है जो उनके दोनों हाथों की
हथेली से गुजरते हुए शिव लिंग पर गिरता है। मंदिर के अन्दर गंगा की प्रतिमा से
स्वंय पानी निकलना अपने आप में एक कौतुहल का विषय बना है। सवाल यह है कि आखिर यह
पानी अपने आप कहा से आ रहा है। ये बात अभी तक रहस्य बनी हुई है।
कहा जाता है कि
भगवान शंकर के शिव लिंग पर जलाभिषेक कोई और नहीं स्वयं मां गंगा करती हैं। यहां
लगाए गए दो हैंडपंप भी रहस्यों से घिरे हुए हैं। यहां लोगों को पानी के लिए
हैंडपंप चलाने की जरूरत नहीं पड़ती है बल्कि इसमें से अपने-आप हमेशा पानी नीचे
गिरता रहता है। वहीं मंदिर के पास से ही एक नदी गुजरती है जो सूखी हुई है लेकिन
भीषण गर्मी में भी इन हैंडपंप से पानी लगातार निकलता रहता है। लोग दूर-दूर से यहां
पूजा करने आते हैं और साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
श्रद्धालुओं का मानना हैं कि टूटी झरना मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत
रूप के दर्शन कर लेता है उसकी मुराद पूरी हो जाती है। भक्त शिवलिंग पर गिरने वाले
जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और इसे अपने घर ले जाकर रख लेते हैं। इसे
ग्रहण करने के साथ ही मन शांत हो जाता है और दुखों से लड़ने की ताकत मिल जाती है।