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- डिवोर्स एक सिविल मामला-जबकि “तीन तलाक आपराधिक कृत्य”….पूर्व केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान
Posted by : achhiduniya
01 August 2019
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल उठाया था कि
हिंदू व्यक्ति को एक साल की सजा जबकि मुस्लिम व्यक्ति को तीन साल साल की सजा का
प्रावधान है। एक देश में दो कानून क्यों हैं? इस पर पूर्व
केंद्रीय मंत्री आरिफ मोहम्मद खान ने ओवैसी को सलाह देते हुए कहा,अगर वह समानता की बात करते हैं तो वह सरकार से
देश के प्रत्येक नागरिक के लिए पारिवारिक कानूनों को लागू करने के लिए क्यों नहीं
कहते। वह कॉमन सिविल कोड का समर्थन करें। आरिफ मोहम्मद खान ने ऑल इंडिया मुस्लिम
पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि बोर्ड ने
तीन तलाक के मुद्दे पर यू-टर्न ले लिया है।
खान ने यह बयान एआईएमआईएम के अध्यक्ष
असदुद्दीन ओवैसी के उस बयान के जवाब में दिया जिसमें उन्होंने कहा कि मुस्लिम
पर्सनल लॉ बोर्ड से उन्हें उम्मीद है कि वह तीन तलाक कानून की वैधानिकता को
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री खान ने ओवैसी को भी नसीहत
दे डाली। खान ने एक निजी चैनल को
दिए गए साक्षात्कार में कहा, पर्सनल लॉ
बोर्ड ने सबसे पहले तो तलाक को गुनाह, दमनकारी और
अन्यायपूर्ण बताया था। हालांकि, बाद में
उन्होंने अपना रुख बदल दिया। खान ने कहा,हम एक
लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। हर किसी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार
है।
आपके पास संसद में पास कानून की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का
अधिकार है, लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा कि मुस्लिम
पर्सनल लॉ बोर्ड जिसने सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र देकर वादा किया था कि वह तीन
तलाक के खिलाफ कैंपेन चलाएगा, वह अब कोर्ट
कैसे जा सकता है। खान राजीव गांधी सरकार में मंत्री थे ,लेकिन 1986 में मुस्लिम पर्सनल लॉ बिल और तीन
तलाक को लेकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। खान ने कहा कि डिवोर्स एक सिविल
मामला है जबकि तीन तलाक आपराधिक कृत्य है। उन्होंने
कहा,वे अब फिर से सुप्रीम कोर्ट वैधानिकता को
चुनौती देने जा रहे हैं तो ऐसे में अपने शपथ पत्र की बातों को कैसे स्वीकार करेंगे।
मैं अब देखना चाहूंगा कि वे अब क्या कहते हैं। मैं इसका स्वागत करता हूं। उन्हें
कोर्ट जाना चाहिए।