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- अकाल मृत्यु को टालता है भोलेनाथ-शिव जी का यह मंत्र... सावन के महीने में जप करने का है विशेष लाभ
Posted by : achhiduniya
21 July 2020
सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है,शिव जी की मन से पूजा करने से कई परेशानियों से निजात मिलती है। यही नहीं भगवान शिव का महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु तो टलती ही है, साथ ही आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है। स्नान करते समय शरीर पर लोटे से पानी डालते वक्त इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य-लाभ होता है। महामृत्युंजय मंत्र भोलेनाथ का सबसे बड़ा मंत्र है। इसके कई स्वरूप भी हैं जिनका शिवपुराण में उल्लेख है। महामृत्युंजय मंत्र का मूल भाग नीचे दिया गया है। ऊं भूः भुवः स्वः ऊं त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात। इसका प्राणरक्षक और महामोक्ष मंत्र भी है जिसका जाप किसी गंभीर समस्या के दौरान बेहद शुद्ध तरीके से किया जाना चाहिए। यह है
प्राणरक्षक मंत्र:- ऊं हौं जूं सः। ऊं भूः भुवः स्वः ऊं त्रयम्बकं
यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
ऊं स्वः भुवः भूं ऊं। ऊं सः जूं हौं। सावन के महीने में भगवान शिव के इस पवित्र मंत्र
का जाप करने से आपको भगवान शिव की अनुकंपा प्राप्त होती है और जिस व्यक्ति पर शिव
प्रसन्न हों,
उनके दुख अवश्य दूर होते हैं। भगवान शिव की अराधना करने में इस मंत्र का
बहुत बड़ा योगदान है। इस मंत्र के नियमित जाप से नकारात्मक विचारों को दूर रखने
में भी मदद मिलती है। सावन
में रुद्राभिषेक करवाने के साथ ही अगर कोई व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जाप करता है तो व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। शिव
के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना विशेषतौर पर गुणकारी होता है। इस मंत्र के जाप से गंभीर
रोगों से मुक्ति मिलती है, स्वास्थ्य से जुड़ी तकलीफें भी
दूर होती हैं लेकिन इस बात का ध्यान रहे कि यह कोई साधारण मंत्र नहीं है। महामृत्युंजय
मंत्र विशेष मंत्र है, इसलिए इसका जाप करते समय कई
नियमों का पालन करना जरूरी है ताकि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके और किसी भी
प्रकार के अनिष्ट की संभावना न रहे।