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- Citizen Amendment Act का लाभ लेने के लिए रोहिंग्या मुसलमान कर रहे ईसाई धर्म कबुल....
Posted by : achhiduniya
23 July 2020
बीते साल संसद में पास Citizen Amendment Act {नागरिकता संशोधन कानून- CAA} 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्मों के प्रवासियों के लिए नागरिकता के नियम को आसान बनाया गया। पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था। इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल किया गया है यानी इन तीनों देशों के ऊपर उल्लिखित छह धर्मों के बीते एक से छह सालों में भारत आकर बसे लोगों को नागरिकता मिल सकेगी। अभी केंद्रीय गृह मंत्रालय को CAA -2019 के नियम को नोटिफाई करना है। केंद्र सरकार ने साल 2015 और 2016 में उपरोक्त 1946 और 1920 के कानूनों में संशोधन करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और क्रिस्चन को छूट दे दी है। इसका मतलब यह हुआ कि इन धर्मों से संबंध रखने वाले लोग अगर भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी रहते हैं तो उनको न
तो जेल में डाला जा सकता है और न उनको
निर्वासित किया जा सकता है। यह छूट उपरोक्त धार्मिक समूह के उनलोगों को प्राप्त है
जो 31 दिसंबर,
2014 को या उससे पहले भारत पहुंचे हैं। इन्हीं
धार्मिक समूहों से संबंध रखने वाले लोगों को भारत की नागरिकता का पात्र बनाने के
लिए नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन के लिए
नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 संसद में पेश किया गया
था। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) से बचने के लिए भारत में रह
रहे कई अफगानी और रोहिंग्या मुसलमानों ने ईसाई धर्म को अपना लिया है ताकि उनकी
भारतीय नागरिक बनने की राह आसान हो सके। केंद्रीय एजेंसियों ने सरकार को इस बारे में जानकारी दी है।
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, एजेंसियों
ने अपनी जांच में पाया है कम से कम 25 अफगानिस्तान के
मुस्लिमों ने ईसाई धर्म अपना
लिया है। अधिकारियों का मानना है कि करीब 40 हजार रोहिंग्या मुसलमान पूरे भारत में
रहते हैं। जम्मू-कश्मीर में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। बड़े पैमाने पर रोहिंग्या
मुसलमान 2012 से देश में रह रहे हैं और अब खुद को बांग्लादेशी बताते हैं और ईसाई
धर्म को भी अपना रहे हैं। पिछले 6 साल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के करीब 4,000 हजार लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई है। गृह मंत्रालय के
अनुसार, 2014 के समझौते सीमा समझौते के तहत भारत ने बांग्लादेश के 50
इनक्लेव को अपने हिस्से में मिलाया था और करीब 14,864
बांग्लादेशी नागरिकों को भारत की नागरिकता दी गई थी।