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- कौन है राहू-केतू ,क्या है ज्योतिष शास्त्र व मनुष्य कुड़ली से इनका नाता....?
Posted by : achhiduniya
22 September 2020
ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को पाप ग्रह माना गया है। इन दोनों ही ग्रहों को छाया ग्रह भी कहा जाता है। छाया ग्रह होने के बाद भी कलयुग में राहु-केतु को बहुत प्रभावशाली ग्रह माना गया है। राहु-केतु एक ही राक्षस के दो भाग हैं, जिसे समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से सिर और धड़ को अलग कर दिया था। क्योंकि इस राक्षस ने मंथन के दौरान धोखे से अमृत पीने की
कोशिश की थी, लेकिन सूर्य और चंद्रमा ने
भगवान विष्णु को इस बात की जानकारी दे दी थी। राहु-केतु पाप ग्रह होने के बाद भी
शुभ फल प्रदान करते हैं। इसलिए ये मान लेना कि ये दोनों ग्रह हमेशा ही अशुभ फल
प्रदान करते हैं, ऐसा नहीं है। जन्म के समय जन्म कुंडली में
विराजमान ग्रहों की स्थिति पर राहु और केतु का फल निर्भर करता है। राहु- केतु से
दो खतरनाक योगों का निर्माण होता है। जिसमें एक है कालसर्प दोष और दूसरा है पितृ
दोष। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली
में जब इन योगों का निर्माण होता है।
व्यक्ति का जीवन संकट और परेशानियों से भर
जाता है। व्यक्ति को जॉब, व्यापार, शिक्षा और संतान से संबंधित परेशानी देने में इन दोनों ग्रहों
का बहुत बड़े कारक होते है। राहु
और केतु की अशुभता को दूर किया जा सकता है। इन दोनों ग्रहों को शांत रखने और इन
शुभ फल प्राप्त करने के लिए शिव परिवार की उपासना नियम पूर्वक करनी चाहिए। शिव
परिवार की पूजा करने से राहु और केतु की अशुभता को दूर करने में मदद मिलती है। इसके
साथ ही इन उपायों को भी अपनाएं- गाय की
सेवा करें और गाय को हरा चरा खिलाएं। गलत संगत और गलत आदतों से दूर रहें। स्वच्छ रहें और घर में कूड़ा आदि जमा न रहने दें। अपने सहयोगियों से विनम्रता से पेश आएं, उनका ध्यान रखें। झूठ न
बोलें और किसी को भी धोखा न दें।