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- पूर्व और वर्तमान सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों पर सख्त हुआ सुप्रीम कोर्ट...
न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया तथा अधिवक्ता स्नेहा कलिता ने यह रिपोर्ट भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की 2016 से लंबित याचिका में दायर की है। उपाध्याय ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के निबटारे में अप्रत्याशत विलंब की ओर ध्यान आकर्षित करते हुये यह याचिका दायर कर रखी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, कुछ उच्च न्यायालय ऐसे मुकदमों की तेजी से सुनवाई के लिये प्रत्येक जिले में सत्र और मजिस्ट्रेट स्तर पर विशेष अदालत के गठन के पक्ष में है।
उच्चतम न्यायालय को सोमवार को सूचित किया गया कि, पिछले दो साल में वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर इनकी प्रगति पर उच्च न्यायालयों द्वारा सख्त निगरानी की आवश्यकता है,ताकि इनका तेजी से निस्तारण हो सके। न्याय-मित्र विजय हंसारिया की शीर्ष अदालत में दाखिल नयी रिपोर्ट के अनुसार इस समय पूर्व और वर्तमान सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की संख्या
4,859 है। जबकि मार्च 2020 में इनकी संख्या 4,442 थी। इस रिपोर्ट में कहा गया है,मौजूदा कार्यवाही में विधि निर्माताओं के खिलाफ मुकदमों की तेजी से निबटारे के बारे में निगरानी के बावजूद पिछले दो साल में पूर्व और वर्तमान सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की संख्या में वृद्धि हुयी है। इसलिए उच्च न्यायालयों द्वारा इनकी सख्ती से निगरानी की जरूरत है,ताकि इनके खिलाफ मुकदमों का तेजी से निस्तारण हो सके। रिपोर्ट के अनुसार, कई अन्य उच्च न्यायालयों ने संबंधित अदालतों के अधिकार क्षेत्र में ही ऐसे मुकदमों की सुनवाई प्राथमिकता के आधार पर करने की हिमायत की है। कुछ राज्यों में उच्च न्यायालयों ने विशेष अदालतों के गठन की सिफारिश की है। शीर्ष अदालत को न्याय मित्र ने सूचित किया कि सभी उच्च न्यायालयों ने बुनियादी सुविधाओं की कमी और इस मद में धन की अनुपलब्धता की वजह से वीडियो कांफ्रेंस सुविधा के साथ सुरक्षित गवाह परीक्षक केन्द्र बनाने की हिमायत की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, केन्द्र ने सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और दूसरी केन्द्रीय एजेन्सियों के समक्ष सांसदों और विधायकों के खिलाफ मुकदमों की स्थिति और उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति के लिये लंबित मामलों के बारे में कोई स्थिति रिपोर्ट पेश नहीं की है।