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- संविधान अच्छा व खराब तभी सिद्ध होगा,जब उसे अमल में लाने वाले राजनैतिक लोग अच्छे या बुरे होंगे....डॉ भीमराव अंबेडकर ने दी थी चेतावनी
संविधान अच्छा व खराब तभी सिद्ध होगा,जब उसे अमल में लाने वाले राजनैतिक लोग अच्छे या बुरे होंगे....डॉ भीमराव अंबेडकर ने दी थी चेतावनी
देश की आजादी से पहले ही स्वतंत्रता सेनानियों को संविधान के लिए चिंता सता रही थी। आजादी के बाद हमारा अपना कोई कानून नहीं था। इसे संविधान के रूप में निर्माण करने में कई अड़चनों का सामना करना पड़ा। 16 जून 1946 को अंग्रेज सरकार द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया कि हिंदुस्तान को दो देशों में विभाजित किया जाए। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद ही नए संविधान का
निर्माण करना तय किया गया। इसके बाद 19 दिसंबर 1946 को पहली बार संविधान सभा एकत्रित हुई। इस दौरान संविधान सभा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना उपस्थित नहीं रहे। डॉक्टर सच्चिदानंद एक वरिष्ठ नेता थे इसलिए उन्हें सभा का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया और डॉ राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष बनाया गया। देश दो भागों में बंट चुका था और नेताओं का सबसे बड़ा लक्ष्य संविधान का निर्माण करना था। 29 अगस्त 1947 संविधान निर्माण के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में दर्ज है। इस दिन संविधान सभा द्वारा संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए डॉ भीमरावके आखिरी कतरे के साथ रक्षा करने का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद 26 जनवरी 1950 को संविधान सभा द्वारा भारत का संविधान लागू कर दिया गया। संविधान लागू होने पर भारत इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाता है। संविधान सभा में कुल 284 सदस्य थे, जिसमें 15 महिलाएं शामिल थी। जब संविधान लागू हुआ था, उस समय इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे, जो वर्तमान में 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हो गए हैं।