- Back to Home »
- Property / Investment »
- ‘अच्छे दिनों’ का पर्दाफ़ाश,कपड़े पर जीएसटी दर 5 से 12 फीसदी.... राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
‘अच्छे दिनों’ का पर्दाफ़ाश,कपड़े पर जीएसटी दर 5 से 12 फीसदी.... राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना
Posted by : achhiduniya
23 November 2021
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली
जीएसटी परिषद की गत 17 सितंबर को हुई पिछली बैठक में फैसला किया गया था कि कपड़ा
क्षेत्र की शुल्क विसंगतियों को एक जनवरी, 2022 से
ठीक कर दिया जाएगा. इस निर्णय को प्रभावी करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा
शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने 18 नवंबर को MMF, MMF धागा
और MMF कपड़ा के
लिए GST की 12 फीसदी की एकसमान दर अधिसूचित कर दी। वित्त मंत्रालय ने
हाथ से बनाए जाने वाले फाइबर{MMF}, धागा, कपड़े और परिधान पर
एक समान 12 प्रतिशत की GST दर अधिसूचित कर दी है। इस तरह MMF कपड़ा मूल्य श्रृंखला में विपरीत कर संरचना को ठीक कर दिया गया
है। वर्तमान में MMF पर 18,MMF धागा पर 12 और MMF कपड़े पर
5 प्रतिशत GST
दर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कपड़े पर बढ़ाई गई
GST की दरों को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने
एक खबर का स्क्रीनशट शेयर करते हुए कहा कि अच्छे दिनों का पर्दाफाश जारी है। वित्त मंत्रालय ने कपड़े पर लगने वाले GST दर को
बढ़ाकर 5 से 12 फीसदी करने का फैसला किया है। केंद्र का ये फैसला 1 जनवरी 2022 से लागू होगा। वहीं रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया {RAI} ने मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, राज्य सरकारों और जीएसटी परिषद से जनवरी से कपड़े और परिधान
सामग्री पर जीएसटी दर को बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर
पुनर्विचार करने का आग्रह किया। RAI ने कहा कि इससे 85 प्रतिशत क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। यह कहते हुए कि
वस्त्र खुदरा व्यवसाय पहले से ही संकट में हैं, RAI ने कहा
कि कुल कपड़ा मूल्य श्रृंखला के एक छोटे से खंड के रूप में कपड़ा उद्योग में
विपरीत कर संरचना के मुद्दे को हल करने के लिए सात प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव
किया गया है। खुदरा विक्रेताओं के निकाय ने एक बयान में कहा, हालांकि, जीएसटी दर में इतनी अधिक
वृद्धि उद्योग के 85 प्रतिशत हिस्से पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। RAI के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा,वस्त्र
और परिधान पर जीएसटी दरों में वृद्धि इसके प्रभाव के कारण किसी के हित में नहीं है।
व्यापार पक्ष पर, यह पहले से ही संकटग्रस्त क्षेत्र के वित्तीय बोझ
को बढ़ाएगा,
इसकी गति को धीमा कर देगा। विशेष रूप से एमएसएमई
व्यवसायों के मामले में उनकी वापसी और पूंजी को प्रभावित करेगा, जो उद्योग का 90 प्रतिशत हिस्सा है। उपभोक्ता
पक्ष पर पड़नें वाले प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा,इससे कपड़ों की कीमतों में वृद्धि होगी, जिससे खपत में गिरावट आएगी। सरकार की ओर इसके प्रभाव को देखें
तो, लंबी अवधि में, इसकी वजह से कई असंगठित
व्यवसाय जीएसटी के दायरे से बाहर हो सकते हैं।