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- क्यू हो रही “चार धाम देवस्थानम बोर्ड” भंग करने की मांग जिसके तहत है 51 मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण...
क्यू हो रही “चार धाम देवस्थानम बोर्ड” भंग करने की मांग जिसके तहत है 51 मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण...
Posted by : achhiduniya
04 November 2021
पिछले साल जनवरी महीने में उत्तराखंड की त्रिवेंद सिंह रावत
सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। तत्कालीन राज्य सरकार ने ऐलान किया कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री समेत
प्रदेश के 51 मंदिरों का प्रबंधन सरकार करेगी। इसके लिए चार धाम देवस्थानम बोर्ड
बनाया गया। इस ऐलान के तुरंत बाद ही मंदिरों के पुरोहितों ने इसका विरोध करना शुरू
कर दिया। सरकार के इस कदम को हिंदुओं की आस्था में दखल के तौर पर देखा गया।
साधु-संत और पुरोहितों का समाज सरकार के खिलाफ खड़ा हो गया।
पिछले साल से ही इस
फैसले के विरोध में राज्य में आंदोलन किया जा रहा है। पुरोहितों का कहना है कि चार
धाम देवस्थानम बोर्ड के जरिए हिंदू धर्मस्थल मंदिरों पर सरकारी कब्जा करने की
कोशिश की जा रही है। बोर्ड की स्थापना से पहले तक पुरोहितों द्वारा इन मंदिरों की
देखभाल की जाती थी। भक्तों द्वारा मंदिरों में दिए जाने वाले चढ़ावे का जिम्मा भी
पुरोहितों के हाथों में होता था। यहां असल चिंता की बात ये है कि बोर्ड के गठन के
बाद से मंदिरों की जिम्मेदारी पुरोहितों के हाथों में है। मगर मंदिरों में होने वाले चढ़ावे का जिम्मा
सरकार के हाथों में चला गया है और अब सरकार हर चढ़ावे का ब्यौरा रख रही है।
पुरोहित इस बात को
लेकर भी चिंतित हैं कि बोर्ड के जरिए सरकार मंदिर की संपत्ति को
भी कब्जे में कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को केदारनाथ धाम का दौरा
करने वाले हैं। पीएम के दौरे से पहले वहां के पुरोहित समाज ने प्रधानमंत्री के
दौरे का विरोध करने का ऐलान किया। पुरोहित समाज ने चार धाम देवास्थानम बोर्ड को
लेकर नाराजगी व्यक्त की है। इसके जरिए मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में किया जाएगा।
पिछले चार महीनों से इसे लेकर विरोध किया जा रहा है।