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- देश में कहीं दीपोत्सव तो कहीं ‘लट्ठमार दिवाली’ द्वापर युग से है संबंध...
Posted by : achhiduniya
04 November 2021
बुंदेलखंड के कई जिलों में पारंपरिक लट्ठमार दिवाली भी मनाई जाती है। असल में ये एक पारंपरिक नृत्य है जो कि ढोलक, ढाल और लाठियों के साथ किया जाता है। बुंदेलखंड के कई इलाकों
में आज भी ये ‘लट्ठ मार’ दिवाली
काफी धूमधाम से मनाई गई। जालौन से इस तरह से दिवाली मनाने का एक वीडियो भी सामने
आया है। बुंदेलखंड का दिवाली लोक नृत्य गोवधन
पर्वत से भी संबंध रखता है।
द्वापर युग
में श्रीकृष्ण ने जब गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा कर ब्रजवासियों को इंद्र
के प्रकोप से बचाया था, तब ब्रजवासियों ने खुश होकर यह
दिवाली नृत्य
कर श्रीकृष्ण की इंद्र पर विजय का जश्न मनाया और ब्रज के ग्वालों ने इसे दुश्मन को
परास्त करने की सबसे अच्छी कला माना। इसी कारण इंद्र को श्रीकृष्ण की लीला को
देखकर परास्त होना पड़ा। बुंदेलखंड में धनतेरस से लेकर दिवाली की दूज तक गांव-गांव
में दिवाली नृत्य
खेलते नौजवानों की टोलियां घूमती रहती हैं।