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- मैं अपना पद्मश्री अवॉर्ड वापस कर माफी भी मांग लूंगी लेकिन..
Posted by : achhiduniya
13 November 2021
एक निजी चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए फिल्म अभिनेत्री कंगना
रनौत ने 1947
में मिली आजादी की तुलना भीख से करते हुए कहा था
कि 1947 में मिली आजादी , आजादी
नहीं भीख थी और असली आजादी तो 2014 में मिली है। अब कंगना ने इस
पर अपनी सफाई में सोशल मीडिया पर लिखा- इस इंटरव्यू में साफ तौर पर कहा गया था कि 1857 में आजादी के लिए पहले संगठित लड़ाई लड़ी गई थी। सुभाषचंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी सहित कई महान के बलिदान के
साथ। 1857 का मुझे पता है, लेकिन
1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई, इसकी
मुझे जानकारी नहीं है अगर कोई मेरी इस जानकारी को आगे बढ़ाए तो मैं अपना पद्मश्री
अवॉर्ड वापस कर माफी भी मांग लूंगी। अभिनेत्री ने आगे लिखा कि मैंने रानी
लक्ष्मीबाई पर बनी फीचर फिल्म में काम किया है। 1857 की पहली आजादी की लड़ाई को लेकर काफी रिसर्च किया है।
राष्ट्रवाद के साथ राइट विंग का भी उभार हुआ, लेकिन
अचानक खत्म क्यों हो गया? गांधी ने भगत सिंह को क्यों
मरने दिया?
नेता बोस की हत्या हुई और
उन्हें कभी गांधी का
सपोर्ट क्यों नहीं मिला। क्यों बंटवारे की रेखा एक अंग्रेज द्वारा खींची गई? आजादी का जश्न मनाने की बजाए क्यों भारतीय एक-दूसरे को मार रहे
थे? कृप्या मुझे इन सवालों के जवाब दीजिए। कंगना ने लिखा है कि भले
ही हमारे पास दिखाने को आजादी थी, लेकिन भारत की चेतना और विवेक
को 2014 में आजादी मिली। एक मृत सभ्यता ने अपने पंख फैलाए और अब यही
जोरदार तरीके से दहाड़ रहा है। पहली बार है कि इंग्लिश नहीं बोलने, छोटे शहर से आने या मेड इन इंडिया प्रोडक्ट बनाने के लिए कोई