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- पहले लापवाही और गलती करो फिर माफी मांग लो यही शासकों को लत लग गई...शिवसेना का मोदी-शाह पर कटाक्ष
Posted by : achhiduniya
08 December 2021
शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह पर कटाक्ष
करते हुए कहा है कि हर बार मुद्दा माफी मांगने से हल नहीं हो जाता। मामला चाहे
नागालैंड फायरिंग का हो या फिर किसान आंदोलन मे किसानों की जान जाने का, पीएम मोदी और अमित शाह बस, माफी मांग
लेते हैं। शासकों को माफी मांगने की लत लग गई है। शिवसेना के मुखपत्र सामना के
संपादकीय में लिखा गया है कि,किसान आंदोलन में खालिस्तानी
आतंकी घुस गए हैं। उसमें आतंकी काम कर रहे हैं और किसान आंदोलन को विदेश से आर्थिक
मदद मिल रही है, ऐसी जानकारी गुप्तचर एजेंसियों के हवाले से
बीजेपी प्रवक्ता और केंद्रीय मंत्री लगातार दे रहे थे। इस दुष्प्रचार का शिकार
बनने की बजाय किसान लड़ते रहे। प्रधानमंत्री मोदी को देश से माफी मांगकर तीन
कृषि कानून वापस लेने पड़े। तब तक 800से ज्यादा किसानों की बलि सरकार ने ले ली,परंतु प्रधानमंत्री मोदी ने माफी मांगी और मुद्दा खत्म हो गया। इसी तरह
गृहमंत्री अमित शाह ने भी माफी मांगी और नागालैंड की घटना पर पर्दा डालने का
प्रयास किया। शासकों को माफी मांगने की लत लग गई है। अपराध करना, लोगों की जान लेना और मामला उल्टा होने पर माफी मांगना। फिर इस तरह से
माफी
मांगकर छुटकारा पा लेने की सूहलियत औरों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए? शिवसेना ने सवाल किया है कि,अक्सर कहा जाता है कि गलती
पर माफी नहीं लेकिन यह आम लोगों के लिए कहा जाता है। बारिश ने धो डाला और राजा ने
मारा तो न्याय किससे मांगें? सीमावर्ती राज्य नागालैंड में
सुरक्षा बलों ने आतंकी समझकर 13 नागरिकों और एक जवान को मार डाला। इस पर हमारे
सम्माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने खेद व्यक्त करके घटित अमानवीय घटना
पर पर्दा
डालने का प्रयास किया। सिर्फ चार पंक्तियों में खेद व्यक्त करना काफी है? सरकार द्वारा खेद व्यक्त करने से 13 निर्दोष नागरिकों की जानें जो गईं। उनकी
भरपाई होनेवाली है? संबंधित घटना पर कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी का
आदेश भी सरकार ने दिया है,परंतु घटित घटना की जिम्मेदारी
लेकर इसका प्रायश्चित कौन करेगा? आगे सामना संपादकीय में
लिखा है कि,गुप्तचर एजेंसियों द्वारा गलत जानकारी दिए जाने के
कारण ही यह अमानवीय घटना घटी। आतंकवादियों के विरुद्ध कार्रवाई ऐसी गलत जानकारियों
पर आधारित होगी तो अब तक कश्मीर से नागालैंड तक कितने निरपराध लोग मारे गए होंगे,इसका आकलन ही नहीं किया जा सकता है। गलत सूचना के आधार पर सुरक्षा बलों
द्वारा कार्रवाई में गलती की
यह पहली घटना नहीं है। अक्सर सीमावर्ती क्षेत्रों में
निर्दोष लोग ऐसी कार्रवाइयों में मारे जाते हैं और उन्हें आतंकी ठहराकर दफना दिया
जाता है। परंतु एक ही समय इतने लोगों के मारे जाने से मामला विस्फोटक हो गया है। इन कार्रवाइयों में गलती हुई तब भी सुरक्षा बलों
का मनोबल तोड़कर हतोत्साहित करना सही नहीं होगा,लेकिन सुरक्षा
बलों के गुप्तचर तंत्र को अधिक सक्षम बनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। गृह मंत्रालय
के प्रमुख गुप्तचर एजेंसियों को अपने राजनीतिक विरोधियों के पीछे लगाने की बजाय
आतंकियों के पीछे लगा दें तो सुरक्षा बलों को शक्ति मिलेगी।