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- 'सुंदरकांड' पाठ रचना पर क्यो क्रोधित हुए थे हनुमान जी क्यों है इतना अहम....?
Posted by : achhiduniya
23 January 2022
श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड अध्याय में राम भक्त हनुमान की
महिमा और शक्ति का विस्तार से वर्णन किया गया है। उनका सागर पार करना, सीताजी से मुलाकात करना और लंका को जला कर रावण के दर्प का दलन
करना, इन सभी कृत्यों के जरिए हनुमान जी की शक्ति दर्शाई गई है। यह
अध्याय पाठ करने वालों में आत्मविश्वास का संचार करता है। कलिकाल में हनुमान जी
सबसे जाग्रत देवता हैं।
जो कि 'सुंदरकांड' का पाठ करने से अति प्रसन्न होते हैं। इसलिए इस अध्याय की महिमा इतनी ज्यादा है।
सुंदरकांड में रावण द्वारा हरण की गई माता सीता के खोज अभियान का वर्णन है। दरअसल
माता सीता का हरण करने वाले रावण की लंका तीन पर्वतों (त्रिकुटाचल) पर बसी हुई थी।
जिसमें से तीसरे पर्वत का नाम सुंदर पर्वत था। जहां स्थापित अशोक वाटिका में रावण
ने माता सीता को रखा था। यहीं पर हनुमान और सीताजी की भेंट हुई थी। यह मुलाकात
रामचरित मानस का सबसे अहम हिस्सा है। इसलिए इस पूरे अध्याय का नाम सुंदरकांड रखा
गया। जब तुलसीदास रामकथा लिख रहे थे। तब भगवान श्रीराम के मानसिक प्रभाव से
उन्होंने हनुमान जी को प्रभु श्रीराम के समान शक्तिशाली और सामर्थ्यवान बता दिया।
तुलसी दास दिन भर में जितनी भी
रामकथा लिखते उसे रात्रि में पढ़ने और संशोधन करने
के लिए हनुमानजी को सौंप देते थे,लेकिन ये अध्याय देखने के बाद
हनुमान क्रोधित हो गए कि भक्त को स्वामी
के समान प्रतापी कैसे बता दिया? हनुमान जी सुंदरकांड को नष्ट
करने ही वाले थे कि श्रीराम पधारे और उन्होंने कहा कि हनुमान! ये अध्याय तुलसी ने
मेरे ही आदेश से लिखा है। मैं चाहता हूं कि रामकथा में तुम्हारी महिमा का वर्णन
सबसे प्रमुखता से हो,जिसके बाद हनुमानजी नतमस्तक हो
गए। प्रभु आप कह रहे हैं तो यही सही है। अब आपके आदेश से मुझे मानस में 'सुंदरकांड' सर्वाधिक प्रिय रहेगा। शनिवार या मंगलवार को 'सुंदरकांड' का पाठ दिलाता है इच्छित फल।
सुन्दरकाण्ड का पाठ करने वालो के कष्ट हरने के लिए हनुमान जी हमेशा तत्पर रहते
हैं। ये है इसके पाठ की विधि:- पाठ करने से पहले भक्त को स्नान करके साफ कपड़े
पहनने चाहिए। नजदीक के मंदिर जाकर या घर में
हनुमान
जी की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें और उनके सामने कंबल या कुशा का आसन
लगाकर बैठ जाएं। हनुमान जी को फूल-माला, तिलक, चंदन, बेसन के लड्डू का भोग अर्पित
करें। यदि हनुमान मंदिर में पाठ कर रहे
हैं तो चमेली के तेल में मिलाकर हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाएं। इसके बाद
प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं। यह दीपक सरसों के तेल या घी का भी हो सकता है।
भक्तराज हनुमान का मानसिक आह्वान करें। भगवान गणेश, महादेव, राम लक्ष्मण सीता, गुरू और
पितरों का भी आह्वान करें। इसके बाद सुंदरकांड का पाठ शुरु करें। पाठ संपन्न होने
के बाद आरती करें और चढ़ाया हुआ प्रसाद छोटे बच्चों को बांट दें। इसके बाद आपका
इच्छित कार्य जरुर पूर्ण होगा। 'सुंदरकांड' का पाठ कोर्ट कचहरी, पारलौकिक
बाधा, शत्रुबाधा, पदोन्नति आदि कार्यों में
इच्छित फल प्रदान करता है।