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- डिजिटल ठग बैंकिंग सर्विस में ई-केवाईसी के नाम पर कर रहे धोखा...
Posted by : achhiduniya
11 February 2022
साइबर ठगों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ठगी का एक और नया तरीका खोज
निकाला है। अब ई-केवाईसी (e-KYC) के नाम
पर लोगों के बैंक खातों से डिटेल लेकर लाखों रुपये चपत
कर जाते हैं। हाल ही में गृह मंत्रालय ने सभी
राज्यों को इस को लेकर अलर्ट जारी किया है। देश के कई राज्यों के साइबर सेल के
सामने इस समय हर रोज हजारों शिकायतें मिल रही हैं। ई-केवाईसी के नाम पर साइबर
फ्रॅाड लोगों को ठग रहे हैं, लेकिन इस पर कार्रवाई न के
बराबर ही हो रही है। साइबर सेल अधिकारियों का मानना है कि आजकल सबसे अधिक फ्रॉड
ई-केवाईसी के नाम पर हो रहा है। धोखेबाज खुद को सर्विस प्रोवाइडर बताते हुए बैंक
से लिंक मोबाइल नंबर पर फोन कर पूरी
जानकारी ले रहे हैं। साइबर ठग फोन पर ये कहते
हैं कि आपके बैंक खाते में केवाईसी नहीं है और आपका अकाउंट अगले कुछ दिनों में बंद
हो जाएगा। अगर आप इसको चालू रखना चाहते हैं तो तुरंत आधार से लिंक करा लें। इस
दौरान ग्राहक अनजान होते हैं वे तुरंत ही पूरा डिटेल साइबर ठग को देते हैं। इसके
बाद ग्राहक फंस जाते हैं और इस साइबर ठग के शिकार हो जाते हैं। साइबर एक्सपर्ट और
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता पवन दुग्गल कहते हैं,भारत ने दूसरे देशों के तजुर्बे पर अभी तक गौर नहीं किया है। हालांकि,
साइबर फ्रॉड रोकने के लिए सरकार ने शिकायत पोर्टल cybercrime.gov.in बनाया हुआ है। इस पोर्टल पर आप ऑनलाइन फ्रॉड की शिकायत कर सकते
हैं। इसके अलावा साइबर क्राइम के बारे में हेल्पलाइन नंबर 155260 पर भी शिकायत की
जा सकती है। इसके साथ ही ठग के कहने के बाद आपने ओटीपी जनरेट किया है और आपने
ओटीपी ठग को बता दिया तो यह आपकी गलती है। ऐसे में हुए फाइनेंशियल फ्रॉड की
जिम्मेदारी बैंक का नहीं होता है, लेकिन अगर आपके अकाउंट से किसी
ने गैरकानूनी तरीके से ट्रांजेक्शन किया है या आपका एटीएम कार्ड हैक करके पैसे
निकाले हैं या फिर फ्रॉड के लिए किसी ऐसे तरीके का इस्तेमाल किया, जिसमें ग्राहक की कोई भूमिका नहीं है तो ऐसे में खाताधारक की
गलती नहीं मानी जाएगी।