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- देवों के देव महादेव-शिवशंकर {शिवलिंग} पर वर्जित है यह चीजें चढ़ाना..लाभ की जगह हो सकती है हानी...
Posted by : achhiduniya
06 February 2022
शिवपुराण के अनुसार देवों
के देव महादेव भगवान शिवशंकर स्वयंभू हैं। वे देवों के देव महादेव हैं। कैलाश पर्वत उनका
निवास स्थान है। गले में लिपटा नाग, मस्तक
पर सुशोभित चंद्रमा, जटा में गंगा, हाथ में त्रिशूल और डमरू कुछ ऐसा भगवान शिव का स्वरूप है। जो
भक्त शिव की आराधना करते हैं, उन्हें समस्त प्रकार के कष्टों
से मुक्ति मिल जाती है, लेकिन उनकी पूजा करते समय कुछ बातों
का ध्यान रखना जरूरी है। भगवान शिव को भूल से भी न चढ़ाएं ये चीजें:- गौरी गणेश के
साथ-साथ देवों के देव महादेव को भी तुलसी नहीं
चढ़ाई जाती। वैसे तो तुलसी का हिन्दू
धर्म में विशेष महत्व है। तुलसी को कई तरह की पूजा के साथ-साथ शुभ कार्यों में
इस्तेमाल होता है, लेकिन तुलसी को भगवान शिव पर चढ़ाना मना है। भगवान
शिव शंकर को पूजा में केवल बेल पत्र ही चढ़ाना चाहिए। तुलसी के पत्तों को लक्ष्मी
माना जाता है। देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं और इसी वजह से इन्हें अन्य
भगवान को चढ़ाना वर्जित माना जाता है। भोलेनाथ पर नारियल तो जरूर चढ़ाया जाता है पर नारियल पानी बिल्कुल नहीं चढ़ाया जाता है। मान्यता
है कि इससे घर में धन की कमी होती है। कहते हैं कि नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक
माना जाता है,
जिनका
संबंध भगवान श्री हरि विष्णु से है। ये भी
कहा जाता है कि नारियल पानी देवताओं को चढ़ाने के बाद ग्रहण किया जाता है, इसीलिए शिवलिंग पर नारियल पानी चढ़ाना वर्जित है। भगवान शिव को
तिल या तिल से बनी चीजों को नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि तिल भगवान श्री हरि
विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ था, इसलिए शिवलिंग पर तिल से बनी चीजों
को अर्पित नहीं करना चाहिए। भगवान शिवशंकर की पूजा में न शंख बजाना चाहिए और न ही शंख से उन पर जल अर्पित
करना चाहिए। माना जाता है
कि भगवान शिव ने शंखचूड़ नाम के असुर का वध किया था। तभी
से शंख को उसी असुर का प्रतीक माना जाता है। चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था, इसलिए विष्णु भगवान की पूजा में शंख बजाया जाता है पर महादेव की
पूजा में इसका इस्तेमाल वर्जित होता है। ज्यादातर पूजा-पाठ की सामग्री में हल्दी
शामिल की जाती है पर हल्दी एक ऐसी सामग्री है, जिसे
शिव को कभी नहीं लगाना चाहिए। शिवलिंग पर कभी भी हल्दी से बनी चीजों को नहीं
चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से चंद्रमा कमजोर होता है, जिसकी
वजह से आपका मन किसी भी काम में नहीं लगता है। हल्दी का इस्तेमाल सुंदरता प्रसाधन
के लिए किया जाता है। चूंकि
महादेव वैरागी हैं और सांसारिक सुखों को त्याग रखा है, इसलिए हल्दी उनके पूजा में शामिल नहीं की जाती है। हल्दी की तरह
कुमकुम भी भोलेनाथ को नहीं चढ़ाना चाहिए। कुमकुम को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता
है, जबकि भगवान शिव वैरागी हैं इसलिए महादेव को कुमकुम नहीं चढ़ाना
चाहिए। शिव भक्त जानते हैं कि शिव जी अपने माथे पर भस्म लगाते हैं। विवाहित
स्त्रियां कुमकुम लगाती हैं। इस वजह से भी शिव जी को कुमकुम लगाने की मनाही है। भगवान
शिवशंकर को
अक्षत यानी साबूत चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है।
मान्यताओं के अनुसार, टूटा हुआ चावल अशुद्ध होता है।
भगवान शिव को उबले हुए दूध का अभिषेक नहीं करना चाहिए। शिवलिंग पर ठंडे जल और कच्चे
दूध का अभिषेक करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।