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- नवजोत सिंह सिद्धू को मिली एक साल सश्रम कारावास की सजा...
Posted by : achhiduniya
19 May 2022
सुप्रीम कोर्ट ने साधारण चोट की बजाए गंभीर अपराध
की सजा देने की याचिका पर सिद्धू को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। पीड़ित परिवार
ने याचिका दाखिल कर रोड रेज केस में साधारण चोट नहीं बल्कि गंभीर अपराध के तहत सजा
बढ़ाने की मांग की। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने साधारण चोट का मामला बताते हुए
सिर्फ ये तय करने का फैसला किया था कि क्या सिद्धू को जेल की सजा सुनाई जाए या
नहीं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान विशेष पीठ में जस्टिस एएम खानविलकर और
जस्टिस संजय किशन कौल के सामने पीड़ित परिवार यानी याचिकाकर्ता की ओर से सिद्धार्थ
लूथरा ने कई पुराने मामलों में आए फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि सड़क पर हुई
हत्या और उसकी वजह पर कोई विवाद नहीं है। बीते 25 मार्च सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू की सजा बढ़ाने की याचिका पर
फैसला सुरक्षित रखा था। सभी पक्षों की दलीलें सुनने को बाद फैसला सुरक्षित रखा था।
सुप्रीम कोर्ट को तय करना था कि सिद्धू की सजा बढ़ाई जाए या नहीं। पीड़ित परिवार
की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी
साफ है कि हत्या में हमले की वजह से चोट आई थी, हार्ट अटैक
नहीं, लिहाजा दोषी को दी गई सजा को और बढ़ाया जाए। सिद्धू की
ओर से पी चिदंबरम ने याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता
ने मामले
को अलग दिशा दी है। ये मामला तो आईपीसी की धारा 323
के तहत आता है। घटना 1998 की है। कोर्ट इसमें दोषी को मामूली
चोट पहुंचाने के जुर्म में एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना चुका है। 15 मई,
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 1988 के रोड रेज मामले में
मात्र 1,000 रुपये के जुर्माने के साथ छोड़ दिया था। इसमें
पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को स्वेच्छा से चोट पहुंचाने के लिए
दोषी ठहराया था और उन्हें 3 साल की जेल की सजा सुनाई थी, लेकिन
SC ने उन्हें 30 साल से अधिक पुरानी घटना बताते हुए 1000
जुर्माने पर छोड़ दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि आरोपी और पीड़ित के
बीच कोई पिछली दुश्मनी नहीं थी। आरोपी द्वारा किसी भी हथियार का इस्तेमाल नहीं
किया गया था। गौरतलब है की 27 दिसम्बर 1988 को सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह
संधू की पटियाला में कार पार्किंग को लेकर गुरनाम सिंह नाम के बुजुर्ग के साथ कहा सुनी
हो गई। झगड़े में गुरनाम की मौत हो गई।
सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू पर गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया।
पंजाब सरकार और पीड़ित परिवार की तरफ से मामला दर्ज करवाया गया। साल 1999 में सेशन
कोर्ट से सिद्धू को राहत मिली और केस को खारिज कर दिया गया। कोर्ट का कहना था कि
आरोपी के खिलाफ पक्के सबूत नहीं हैं और ऐसे में सिर्फ शक के आधार पर केस नहीं
चलाया जा सकता, लेकिन साल 2002 में राज्य सरकार ने सिद्धू के
खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की। 1 दिसम्बर 2006 को हाईकोर्ट बेंच
ने सिद्धू और उनके दोस्त को दोषी माना। कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता की
और से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार और सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि सिद्धू के खिलाफ
हत्या का मामला बनता है।
सिद्धू को ये पता था कि वो क्या कर रहे हैं,उन्होंने जो किया समझबूझ कर किया, इसलिए उन पर हत्या
का मुकदमा चलना चाहिए। शिकायतकर्ता की ओर से कहा गया कि अगर ये रोड रेज का मामला
होता तो टक्कर मारने के बाद चले जाते, लेकिन सिद्धू ने पहले
गुरनाम सिंह को कार से निकाला और जोर का मुक्का मारा। यहां तक कि उन्होंने कार की
चाभी भी निकाल ली। अब 34 साल पुराने रोड रेज केस में कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू
को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उन्हें एक साल जेल की सजा हुई है। उन्हें
एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने अपने 15 मई, 2018 के एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा को बदल दिया है। जस्टिस एएम खानविलकर
और जस्टिस संजय किशन कौल की बेंच ने ये फैसला
सुनाया है।