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- क्या होते है गहरे दुख-दर्द के कारण व कैसे इनसे बाहर निकले...?
Posted by : achhiduniya
01 July 2022
आमतौर पर मन को सदमा देने वाले किसी घटनाक्रम से
गहरे दुख-दर्द की शुरुवात होती है। सबसे आम वजह किसी बेहद प्रिय व्यक्ति, रिश्तेदार की मौत। कई लोग ऐसे मामलों से उबर पाने में असहाय
महसूस करते हैं। कई अन्य परिस्थितियां भी गहरे दुख की वजह बन सकती हैं। लेखक
डार्सी एल.हैरिस ने अपनी आगामी किताब ‘नॉन-डेथ
लॉस एंड ग्रीफ’ में उन परिस्थितियों का जिक्र किया है, जो गहरे दुख की वजह बन सकती हैं। इनमें से कुछ हैं:- जीवनसाथी
के साथ तलाक या किसी प्रियजन से बिछुड़ना। माता-पिता, परिवार या
दोस्तों से दूर जाना। काम की जगह में बदलाव या
सेवानिवृत्ति। किसी हादसे या गंभीर बीमारी की वजह से स्वास्थ्य बिगड़ जाना।
गर्भपात या बांझपन। पारिवारिक विवाद। किसी दुर्घटना के बाद गहरे दुख का सामना।
स्विस मनोचिकित्सक एलिजाबेथ कुबलर-रोज ने अपनी किताब ‘ऑन डेथ एंड डाइंग’ में
उन्होंने गहरे दुख के पांच चरणों का खुलासा किया था जो आज बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। और कई अन्य परिस्थितियों में भी प्रासंगिक होते
हैं। गहरा दुख कई रुपों में देखा जा सकता है और इसकी
वजहें भी अलग-अलग हो सकती
हैं। कुछ लोग गुस्सैल हो जाते हैं, कुछ की
भूख मर जाती है, कुछ का आत्मविश्वास खत्म हो जाता है और कई अकेले
में रोने लगते हैं और लोगों से मिलने-जुलने की उनकी रुचि खत्म हो जाती है।
बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है। हमारी जिंदगी में भी कई बार दर्द-दुख के लम्हे
इतने गहरे होते हैं कि जिनसे उबरने में हमें काफी वक्त लगता है। कई बार वक्त ही इन
पर मरहम साबित होता है, तो कई बार अपने लोगों के बीच
गहरे दर्द के जख्मों को साझा कर लेने से उन पर मरहम लगाना आसान हो जाता है। दरअसल
उत्सव और त्योहार भी होते ही इसलिए हैं कि हम अपनों के
साथ मिल-जुलकर खुशियां
मनाएं और पुराने दुख-दर्दों को भुला दें। मिलन समारोह, सामाजिक कार्यक्रम या त्योहार होते ही हैं खुद के और दूसरों के
जीवन में खुशियां बिखेरना। ऐसे में जब आप किसी दुखी परिजन, मित्र या पड़ौसी से मिलें तो उसका दुख बांटने की कोशिश जरूर
करें। अमेरिकन जर्नल ऑफ होस्पाइस एंड पेलिएटिव मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के
मुताबिक जीवनशैली में कुछ हल्के बदलावों के साथ गहरे दुख से उबरने में मदद ली जा
सकती है। अपने प्रियजनों,
मित्रों से नियमित बातें करें।
उनके साथ अपनी भावनाओं को साझा करने से आपको राहत मिलेगी विभिन्न गतिविधियों में
खुद को व्यस्त करें। उन सभी बातों से बचें जो आपको गहरे दुख की वजह याद दिलाती हो।
हर दिन योग और ध्यान के जरिये दिमाग को शांत करने की कोशिश कीजिए। जब आप दुखी हों
तो शायद आपका दिमाग ज्यादा मीठी खाद्य सामग्री की ओर आकर्षित हो सकता है, लेकिन आपको साफ और पोषक आहार लेना चाहिए। हर रात 8 घंटे की
भरपूर नींद लीजिए। अगर नींद आने में दिक्कत
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