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सुप्रीम कोर्ट के धनशोधन निवारण कानून {मनी लॉन्ड्रिंग} रोकथाम अधिनियम में संशोधनों पर 17 विपक्षी पार्टियों को एतराज...
Posted by : achhiduniya
03 August 2022
मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधनों को
बरकरार रखते हुए हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विपक्षी दलों ने एक संयुक्त
वक्तव्य जारी किया है। PMLA को लेकर इस पत्र पर टीएमसी,कांग्रेस,डीएमके,आम आदमी पार्टी,टीआरएस,सपा,सीपीआई (एम), आरजेडी और
शिवसेना सहित सभी विपक्षी दलों ने हस्ताक्षर किए हैं। विपक्षी दलों ने कहा,
हम सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया आदेश के होने वाले दूरगामी असर को
लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हैं जिसमें शीर्ष्र अदालत ने धनशोधन निवारण कानून,
2002 में किए गए संशोधनों को पूरी तरह से बरकरार रखा तथा इसकी
छानबीन नहीं की कि इनमें से कुछ संशोधन वित्त विधेयक के जरिये किए गए।
उन्होंने
कहा,अगर कल सुप्रीम कोर्ट वित्त विधेयक के जरिये हुए
संशोधनों को कानून के लिहाज से गलत ठहरा दे तो पूरी कवायद बेकार हो जाएगी और
न्यायपालिका का समय भी जाया होगा। विपक्षी दलों ने कहा,हम
अपने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं और हमेशा करते रहेंगे। फिर भी हम इसका उल्लेख करने को बाध्य हुए हैं
कि वित्त विधेयक के जरिये किए गए संशोधनों की वैधानिकता पर विचार करने वाली बड़ी
खंडपीठ के फैसले का इंतजार किया जाना चाहिए था। उन्होंने दावा किया कि इन संशोधनों
ने उस सरकार के हाथ को मजबूत किया जो प्रतिशोध की राजनीति में लगी हुई है, इन संशोधनों का
उपयोग करके अपने विरोधियों को शरारतपूर्ण और
दुर्भावनापूर्ण ढंग से निशाना बना रही है। विपक्षी दलों ने कहा,हम इस बात से निराश हैं कि सर्वोच्च न्यायालय, जिसे
कानून में जांच-परख और संतुलन के अभाव को लेकर स्वतंत्र फैसला देना चाहिए, उसने वस्तुत: उन दलीलों को फिर से सामने कर दिया जो इन संशोधनों के समर्थन
में कार्यपालिका की ओर से रखी गईं थीं। उन्होंने कहा,हम आशा
करते हैं कि यह खतरनाक फैसला बहुत कम समय के लिए होगा और
संवैधानिक प्रावधानों की
जीत होगी।
गौरतलब है कि देश की करीब 17 विपक्षी पार्टियों
ने सुप्रीम कोर्ट के हाल के उस फैसले को खतरनाक करार दिया है जिसमें 2019 में मनी
लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) में किए गए
संशोधनों को बरकरार रखा गया है जिससे प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसे एजेंसियों को ज्यादा अधिकार मिले हैं। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, आम
आदमी पार्टी, सीपीआईएम, समाजवादी
पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल सहित कुछ अन्य पार्टियों के हस्ताक्षर वाले बयान
में कहा गया है,हमें उम्मीद है कि यह खतरनाक फैसला अल्पकालिक
रहेगा और संवैधानिक प्रावधान जल्द ही लागू होंगे।
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