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- अब किरायेदारों को भी देना होगा 18% GST टैक्स,किसे होगा फायदा-किसे होगा नुकसान...?
Posted by : achhiduniya
15 August 2022
पहले जो नियम था, उसके
मुताबिक कॉमर्शियल प्रॉपर्टी जैसे कि ऑफिस या रिटेल स्पेस जैसी जगहों को किराये पर
लेने पर ही लीज पर GST लगता था। रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को चाहे कोई कॉरपोरेट हाउस
किराये पर ले कोई सामान्य किरायेदार, इस पर
कोई GST नहीं लगता था। नए नियम के मुताबिक, GST रजिस्टर्ड किरायेदार को reverse charge mechanism (RCM) के तहत टैक्स भरना होगा। वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के तहत डिडक्शन
दिखाकर GST क्लेम कर सकता है। 18 जुलाई से लागू हुए GST के नियमों के मुताबिक, रेजिडेंशियल
प्रॉपर्टी किराये पर लेकर रहने वाले किरायेदारों को रेंट के साथ 18% GST भी देना होगा। हालांकि, यह नियम
बस उन किरायेदारों पर लागू होगा, जो किसी बिजनेस के लिए GST के तहत
रजिस्टर्ड हैं। यह 18 प्रतिशत GST तभी लागू होगा जब किरायेदार GST के तहत रजिस्टर्ड हो और GST रिटर्न भरने वाली कैटेगरी में आता है। रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी
को किराये पर लेकर वहां से अपना बिजनेस चलाने वाले किरायेदार को 18% टैक्स देना होगा।
GST कानून के तहत रजिस्टर्ड किरायेदार की श्रेणी में सामान्य और
कॉरपोरेट संस्थाएं सब आएंगे। सालाना टर्नओवर निर्धारित सीमा से ऊपर पहुंच जाने पर
बिजनेस मालिक को GST रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। निर्धारित सीमा क्या होती है, यह बिजनेस पर निर्भर करता है। सेवाएं दे रहे बिजनेस मालिकों के
लिए सालाना लिमिट 20 लाख रुपये का टर्नओवर है। सामान बेच रहे या सप्लाई कर रहे बिजनेस मालिकों के लिए यह लिमिट
40 लाख रुपये है। अगर यह
किरायेदार उत्तरपूर्वी राज्यों या विशेष दर्जा प्राप्त वाले राज्य में रहता है
तो
उसके लिए टर्नओवर की निर्धारित सीमा सालाना 10 लाख
रुपये है। GST परिषद की 47वीं बैठक के बाद लागू इस नए
बदलाव का असर ऐसी कंपनियों या व्यवसायियों पर होगा, जिन्होंने
अपने बिजनेस के लिए रेजिडेंशिल प्रॉपर्टी को रेंट या लीज पर लिया है। ऐसी कंपनियां भी इस लागत को वहन करेंगी जो रेजिडेंशियल
प्रॉपर्टी को किराये पर लेकर इसे गेस्ट हाउस की तरह इस्तेमाल करती हैं या फिर
कर्मचारियों के लिए रहने की जगह उपलब्ध कराती है। कर्मचारियों को मुफ्त में रहने
की जगह देने वाली कंपनियों पर इससे एम्पलॉई कॉस्ट बढ़ जाएगा।

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