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- दवा कंपनियों और डॉक्टरों की सांठगांठ को भ्रष्टाचार के दायरे में लाने की तैयारी में मोदी सरकार
Posted by : achhiduniya
22 August 2022
भारत में दवा कंपनियां अपनी महंगी दवाएं लिखने के
लिए डॉक्टरों को न केवल मोटी रिश्वत देती हैं, बल्कि
उन्हें महंगे उपहार और परिवार सहित विदेश में छुट्टियों तक का भी ऑफर देती हैं।
साथ ही आलीशान होटलों में परिवार सहित पार्टी, कीमती
शराब या महंगे मोबाइल फोन देना आम है। भारत में दवाओं के प्रमोशन का ये अनैतिक
खर्च मरीजों से वसूला जाता है। भारत में कोई पुख्ता और स्पष्ट कानून नहीं होने के
कारण ये कंपनियां अपनी दवाओं को मनचाही कीमतों पर बेचती हैं,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अब इस पर सख्त रुख
अख्तियार कर लिया है।
दुनिया के कई दूसरे मुल्कों जैसे अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन जैसे कई अन्य देशों में फार्मास्युटिकल
क्षेत्र में भ्रष्टाचार की जांच के लिए कड़े कानून हैं। दवा कंपनियां दवा
विक्रेताओं को अपनी कंपनियों की दवा बेचने पर मोटा मुनाफा का लालच देते हैं। दवा
विक्रेता जेनेरिक दवा ज्यादातर नहीं बेचना चाहते हैं, क्योंकि उस पर उनका मार्जिन बहुत कम आता है,लेकिन ब्रांडेड दवा बेचने पर उनको 40 प्रतिशत से लेकर 70
प्रतिशत तक मुनाफा होता है। दवा
विक्रेता और डॉक्टरों का आपस में गठजोड़ होता है।
डॉक्टर ऐसी दवा लिखता है कि वह किसी खास दवा दुकानदार के अलावा कहीं और नहीं मिलता
है। मजबूरी में मरीज को उसी विक्रेता से दवा लेनी पड़ती है। इसमें दवा कंपनी से जो
कमीशन मिलता है, उसमें डॉक्टर और दवा विक्रेता दोनों का हिस्सा
होता है। दूसरी तरफ भारतीय चिकित्सा परिषद का कहना है कि डॉक्टरों के लिए फार्मा
और स्वास्थ्य क्षेत्र के साथ संबंधों को लेकर खुद को एक आचार संहिता निर्धारित कर
रखी
है। इसमें डॉक्टरों के उपहार लेने, यात्रा सुविधाएं, आतिथ्य
और नगद स्वीकार करने में रोक है, लेकिन यह नियम दवा कंपनियों पर
लागू नहीं होता है। दवा कंपनियों
और डॉक्टरों के गठजोड़ पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह जवाब फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स
रिप्रेंजेंटिटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FMRAI) के
द्वारा दायर एक जनहित याचिका के बाद मांगा है। इस याचिका में दवा कंपनियों द्वारा
डॉक्टरों को बांटे जाने वाले उपहारों के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की गई है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में यह जनहित याचिका डोलो- 650 बनाने वाली दवा कंपनी के खिलाफ
दायर की गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सूत्रों की मानें तो हाल के कुछ
घटनाक्रमों के बाद मोदी सरकार इस गठजोड़ को भ्रष्टाचार के दायरे में लाने की
तैयारी कर रही है।

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