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- 2024 क्या मोदी को टक्कर देंगे नितीश कुमार,बीजेपी रख रही पैनी नजर...?
Posted by : achhiduniya
27 September 2022
जनता दल यूनाइटेड और नीतीश कुमार से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी दिल्ली से पटना तक उसके नेता बिहार के मुख्यमंत्री के हर
राजनीतिक कदम पर पैनी नजर बनाए हुए हैं। बिहार
भाजपा के नेता मानते हैं कि नीतीश कुमार गंभीर राजनीति करते हैं और अन्य दलों के
नेताओं की तुलना में उन्हें ना एजेन्सी का डर दिखाकर शांत कराया जा सकता हैं,ना उन्हें मोदी सरकार कुछ भविष्य में दे देगी उसकी कोई गलतफहमी
है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले हफ़्ते राज्य के दो दिवसीय दौरे के
दौरान पत्रकारों से
अनौपचारिक बातचीत में साफ किया था कि नीतीश के साथ भविष्य में
तालमेल का अब कोई सवाल नहीं पैदा होता। साथ ही लालू यादव की पार्टी के साथ उनके गठबंधन
को जंगल राज की वापसी बताया था,लेकिन नीतीश जैसे ही रविवार को
हरियाणा के फतेहाबाद में पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा आयोजित सम्मान
दिवस के कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे। उन्होंने मंच से अपने भाषण में बार-बार
दोहराया कि कांग्रेस के बिना विपक्षी एकता की बात बेइमानी है। जब
कि मंच पर कोई
कांग्रेस नेता मौजूद भी नहीं था। नीतीश अभी सभा कर दिल्ली भी नहीं लौटे थे, इस बीच भाजपा नेता खासकर पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी रैली
के बारे में ट्वीट करने लगे। सुशील मोदी ने अपने ट्वीट में ओमप्रकाश चौटाला के
सजायाफ़्ता होने की बात कही। जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना है कि सुशील मोदी
खुद भूल गये कि पिछले हरियाणा चुनाव में कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर
सभी प्रचार में लगे भाजपा नेता चौटाला परिवार को भ्रष्टाचार का प्रतीक
बताते थे,लेकिन फिर उसी चौटाला परिवार के सदस्य दुष्यंत चौटाला के साथ
सरकार बना ली। सुशील मोदी ने फिर सोनिया गांधी के साथ लालू यादव और नीतीश कुमार की
संयुक्त बैठक को लेकर भी दो आधार पर सवाल किया कि ये बैठक मात्र बीस मिनट में
ख़त्म हो गई और इसकी कोई फ़ोटो जारी नहीं की गई। जनता दल यूनाइटेड के नेताओं की
मानें तो निश्चित रूप से भाजपा नीतीश कुमार के राष्ट्रीय जनता दल के साथ चले जाने
से परेशान है क्योंकि नीतीश ने जब मन बना लिया तो बिना किसी राजनीतिक सौदेबाज़ी के
उनसे सम्बंध ख़त्म कर राष्ट्रीय जनता दल के साथ फिर सरकार बना ली,लेकिन उनकी असल परेशानी इस बात को लेकर है कि नीतीश अब
क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस के बीच एक सेतु का काम कर रहे हैं। वो एक तरफ कांग्रेस
के विरोध पर बनी पार्टियों जैसे अकाली दल, टीआरएस
या चौटाला की पार्टी को ये समझाते हैं कि कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने में उन्हें
ना परहेज़ ना देर करनी चाहिए। दूसरी ओर कांग्रेस के साथ निरंतर संवाद क़ायम रखते हैं।

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