- Back to Home »
- Discussion , Property / Investment »
- भारत से वैश्विक मंदी की तरफ बड़ते दुनिया के बड़े देश को उम्मीद कैसे उबरेंगे....?
Posted by : achhiduniya
21 October 2022
कोरोना ने विश्व की सप्लाई चेन ठप की। इसके बाद
रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरी दुनिया में ऊर्जा का संकट पैदा होने लगा। रूस ने गैस और
तेल की सप्लाई बाधित करके पश्चिमी देशों को घुटने पर ला दिया। अब पश्चिमी देशों की
हालत संभालने में अमेरिका की इकोनॉमी को भी झटके आने लगे हैं। ब्रिटेन की
प्रधानमंत्री लिज ट्रस महंगाई की मार दो महीने भी नहीं झेल सकीं और 45 दिन में ही
उन्होंने कुर्सी छोड़ दिया। अब हाल ऐसा है कि सभी डूब रहे हैं, ऐसे में किसी दूसरे को सहारा कौन दे। वैश्विक मंदी की इस मार ने
अब ब्रिटेन से लेकर जर्मनी तक, रूस से चीन समेत अन्य यूरोपीय
देशों में त्राहिमाम मचा दिया है। श्रीलंका, पाकिस्तान, बंग्लादेश और भूटान, वर्मा, नेपाल
जैसे देश तो कब के लुट चुके। इन देशों में तो अब खाने के
लाले पड़ने लगे हैं। ऐसे वक्त में अब पूरी दुनिया की निगाह भारत पर आकर ही टिक गई
है। एक निजी चैनल से बातचीत में दुनिया के जाने-माने अर्थशास्त्री
और भारत में अर्थक्रांति के जनक कहे जाने वाले अनिल बोकिल के अनुसार इस बड़ी
वैश्विक मंदी की चपेट में दुनिया के आने की सबसे बड़ी वजह कंजंप्शन (उपभोग नहीं कर
पाने) की प्राब्लम है। वर्ष 2019 से कोविड
जब शुरू हुआ तो इसने धीरे-धीरे पूरी
दुनिया के कंजंप्शन (उपभोक्ताओं) के साइकिल (चक्र) को लॉक कर दिया था। तब लोग घर
से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। इस दौरान पूरी दुनिया का उपभोग सिर्फ दो जगहों पर
आकर सीमित हो गया था। एक खाने पर और दूसरा अस्पताल के खर्च पर। इसके अलावा कोई
उपभोग नहीं रह गया। पूरा का पूरा ग्लोबल इकोनॉमी चक्र एक डेढ़ वर्ष तक के लिए ठप
हो गया था। यहीं
से वैश्विक मंदी का दौर शुरू हो गया। अब रही सही कसर रूस और
यूक्रेन के युद्ध ने पूरी कर दी। वैश्विक री-सेशन के इस दौर में फिर भारत अछूता
कहां रह सकता था। ग्लोबल रेटिंग एजेंसियों ने 2023-24 के लिए भारत के आर्थिक विकास
की दर को भी घटा दिया है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया वर्ष 2008
के बाद किस भीषण मंदी की चपेट में पहुंच चुकी है। महंगाई की मार से बड़ी-बड़ी
अर्थव्यवस्था वाले देश भी तौबा करने लगे हैं। क्या ये वैश्विक मंदी इस
बार पूरी
दुनिया को तबाह कर देगी, क्या इस मंदी से निपटने का अब
कोई रास्ता नहीं बचा है, क्या भारत पूरे विश्व को इस
मंदी से उबार सकता है। अनिल बोकिल
कहते हैं कि अमेरिका समेत दुनिया के सभी देश भारत से जो उम्मीद रख रहे हैं, वह सही है। इसकी कई बड़ी वजहें हैं। पहला यह कि भारत दुनिया का
सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। यहां की जनसंख्या बहुत अधिक है। साथ ही अब भी काफी
जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे है। इसलिए यहां के उपभोक्ताओं में भूख भी बड़ी है। इस
भूख का मतलब सिर्फ खाने से नहीं है, बल्कि
कपड़े, दवाइयां, टेक्नॉलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सभी क्षेत्रों में यह भूख है। भारत की
जनसंख्या है। पूरी दुनिया
अपने सभी उत्पादों को भारत में बेच सकती है। क्योंकि यह इस वक्त का सीधा सा फंडा
है कि जो देश विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, वही
पूरी दुनिया मंदी को से उबार सकता है। भारत के पास ही दुनिया के सर्वाधिक उपभोक्ता
हैं। वहीं पश्चिमी देशों के पास पैसा तो है, लेकिन
कंजंप्शन(उपभोग) करने वाले उपभोक्ता नहीं है। जबकि भारत के पास सबसे बड़ा कंजंप्शन
है, लेकिन पैसा उतना नहीं है।
भारत को डिजिटल इंडिया और स्टार्टटप भी आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहे हैं।
इससे भारत अन्य देशों से मजबूत स्थिति में है। सबसे बड़ी वजह यहां बड़ा कंजंप्शन
होना है। इसलिए इस देश में मंदी भी नहीं आएगी। दुनिया में भारत ही एकमात्र ऐसा देश
है, जो मानवतावाद पर फोकस कर रहा है। पीएम मोदी पूरी दुनिया को
मानवतावाद के रास्ते पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। सितंबर माह में उज्बेकिस्तान
के शंघाई शिखर सहयोग संघठन के सम्मेलन में भी प्रधानमंत्री मोदी ने रूस के
राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन को साफ कहा था कि यह युग युद्ध का नहीं है। सभी को
युद्ध के रास्ते छोड़ने होंगे, क्योंकि इससे दुनिया के किसी
देश का भला नहीं हो सकता है। भारत दुनिया का सबसे लोकतांत्रिक और भरोसेमंद देश है।
दुनिया के सभी प्रमुख देशों से उसके संबंध अच्छे हैं। देश के पास प्रभावी नेतृत्व
होने के साथ मजबूत आर्थिक व्यवस्था, टेक्नॉलॉजी
और सशक्त सेना बल व विश्व का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसलिए वह दुनिया की उम्मीद
बना है।
.jpg)
.jpg)
.jpg)
.jpg)
.jpg)
.jpg)
.jpg)