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- कहीं आप भी तो नही है इस अंधी भेड़चाल के शिकार....?
Posted by : achhiduniya
12 November 2022
किसी जियारत में एक मौलवी रहते थे। मौलवी के पास 1गधा भी था। सैकड़ों आदमी उस जियारत पर आकर दान-दक्षिणा
चढ़ाते थे। उन में एक बंजारा भी था। वह बहुत गरीब था फिर भी नियमानुसार आकर माथा
टेकता,मौलवी की खिदमत करता और फिर अपने काम पर जाता। उसका
कपड़े का व्यवसाय था। कपड़ों की भारी पोटली कंधों पर लिए सुबह से लेकर शाम तक
गलियों में फेरी लगाता कपड़े बेचता। एक दिन उस मौलवी को उस पर दया आ गई,उसने अपना गधा उसे भेंट कर दिया। अब तो बंजारे की आधी समस्याएं हल हो गईं।
वह सारे कपड़े गधे पर लादता और जब थक जाता तो खुद भी गधे पर बैठ जाता इसी बीच गधा
भी अपने नये मालीक से काफी
घूलमील गया था। यूं ही कुछ महीने बीत गए,एक दिन गधे की मृत्यु हो गई। बंजारा बहुत दुखी हुआ। उसने गधे को उचित
स्थान पर दफनाया और उसकी कब्र बनाई और फूट-फूट कर रोने लगा। समीप से जा रहे किसी
व्यक्ति ने जब यह दृश्य देखा तो सोचा जरूर किसी पीर फकीर की कब्र होगी। तभी यह
बंजारा यहां बैठकर अपना दुख रो रहा है। यह सोचकर उस व्यक्ति ने कब्र पर माथा टेका
और अपनी
मनोकामना हेतु वहां प्रार्थना की कुछ पैसे चढ़ाकर वहां से चला गया। कुछ
दिनों के उपरांत ही उस व्यक्ति की कामना पूर्ण हो गई। उसने खुशी के मारे सारे गांव
में डंका बजाया कि अमुक स्थान पर एक सूफी की कब्र है। वहां जाकर जो दुआ मांगो वह
पूरी होती है। मनचाही मुरादे बख्शी जाती हैं,उस दिन से उस
कब्र पर भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया। दूर-दराज से भक्त अपनी दुआ पूरी करने
हेतु आने लगे। बंजारे की तो चांदी हो गई,बैठे-बैठे उसे कमाई
का साधन मिल गया था और धीरे धीरे वह कब्र भी पूरी तरह से जियारत का आकार ले चुकी
थी। एक
दिन वही पूराने मौलवी जिन्होंने बंजारे को अपना गधा भेंट स्वरूप दिया था
वहां से गुजर रहे थे। उन्हें देखते ही बंजारे ने उनके चरण पकड़ लिए और बोला- आपके
गधे ने तो मेरी जिंदगी बना दी। जब तक जीवित था तब तक मेरे रोजगार में मेरी मदद
करता था और मरने के बाद मेरी जीविका का साधन उसकी कब्र बन गई है। मौलवी हंसते हुए
बोले,बच्चा! जिस जियारत में तू नित्य माथा टेकने आता था,वह कब्र इस गधे की मां की है। यूँ ही चल रहा है भेड़चाल में इंसान बिना
हकीकत जाने नोट:- यह एक सीख मात्र है। किसी धर्म विशेष पर टिप्पणी नही।
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