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- क्या चाचा-भतीजे {अखिलेश-शिवपाल यादव} देंगे 2024 में मोदी को चुनौती...?
Posted by : achhiduniya
10 December 2022
सैफई परिवार एक बार फिर एकजुट हो गया लेकिन
बीजेपी की इससे मुश्किल बढ़ सकती है क्योंकि शिवपाल भी सियासत के माहिर खिलाड़ी
हैं और जनता के बीच उनकी पैठ अच्छी रही है। ऐसे में आपसी मतभेद के कारण बीजेपी को
जो सियासी माइलेज मिलता रहा है। उस पर जरूर रोक लग सकती है। सियासी जानकारों की
माने तो चाचा-भतीजे की जोड़ी 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सियासी समीकरण
बिगाड़ सकते हैं। मैनपुरी नतीजे के बाद से चाचा-भतीजे की एकता का असर दिखने लगा
है। यूपी की सियासत में
इस बात खूब चर्चा भी हो रही है। नतीजे से गदगद शिवपाल यादव
ने अपनी पार्टी प्रसपा का सपा में विलय कर लिया और साल 2017 में बगावती सुर अपनाने वाले अखिलेश ने चाचा शिवपाल के पैर छुए
और सपा का झंडा देकर पार्टी में वापसी भी कराई। ऐसे में यूपी की राजनीति में नई
बहस छिड़ गई है कि अगर 2024 लोकसभा चुनाव में चाचा-भतीजे
एकजुट हुए फिर बीजेपी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। बड़े भाई मुलायम सिंह के निधन के
बाद से चाचा शिवपाल के ऊपर समाजवादी पार्टी को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी आ
गई। अखिलेश यादव को भी लगने लगा कि मैनपुरी उपचुनाव में बिना चाचा
की मदद से विजय
पाना मुश्किल हो सकता है क्योंकि बीजेपी आपसी परिवार में फूट का राजनीतिक मुद्दा
बनाकर फायदा उठा सकती है। लेकिन अखिलेश की राजनीतिक चतुराई यहां काम आई चाचा
शिवपाल यादव को मिलाया तथा मंच पर उनके पैर भी छुए। जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर
खूब वायरल हुई। हालांकि, बहु डिंपल यादव को उपचुनाव में
जिताने के लिए चाचा शिवपाल में चुनावी प्रचार में खूब पसीने बहाए और बहू डिंपल को
अप्रत्याशित जीत दिलाकर संसद भेजने में अहम भूमिका निभाई। वैसे चाचा-भतीजे के बीच
आपसी विवाद की वजह ने दो बार विधानसभा चुनाव में सपा को नुकसान उठाना पड़ा है। अगर
ये एकजुटता पहले से दिखते तो चुनाव में परिणाम कुछ और हो सकते थे। माना जा रहा है
कि अखिलेश व चाच की जोड़ी साथ-साथ होने से इटावा मैनपुरी, फिरोजाबाद, फर्रूखाबाद, कन्नौज व औरेया जैसे इलाकों में फायदा होगा। इस इलाकों में
शिवपाल सिंह की वोटरों के बीच अच्छी पैठ है। वह सपा के लंबे समय तक प्रदेश अध्यक्ष
भी रह चुके हैं। इस वजह से लोगों की बीच उनकी अच्छी पकड़ है। पार्टी में साथ आने
के बाद सपा कार्यकर्ता भी काफी खुश नजर आ रहे हैं।
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