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- राहुल की भारत जोड़ो यात्रा को भट्टा लगा रहे कांग्रेस के सिरदर्द बने सचिन पायलेट और अशोक गहलोत
Posted by : achhiduniya
02 December 2022
राजस्थान कांग्रेस मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चली आ रही तकरार खत्म होने का नाम नहीं ले
रही है। हाल ही में अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर टिप्पणी कर कांग्रेस आलाकमान की
टेंशन बढ़ा दी है। जिसके बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने
राजस्थान का दौरा करके दोनों नेताओं के बीच आपसी सुलह कराने की कोशिश की है। जिसके
बाद दोनों नेताओं के बीच विवाद खत्म होता दिखाई देना लगा है लेकिन बीच-बीच में
राज्य के दोनों नेताओं के बीच विवाद का उभर आना कांग्रेस पार्टी को मुश्किल में
डाल देती है। वो भी उस वक्त जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे
हैं तथा अगले साल
राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाला है। अशोक गहलोत को
कांग्रेस हाईकमान राज्य की राजनीति से हटाकर राष्ट्रीय राजनीति में बुला सकती है। इस
पर अशोक गहलोत राजी होंगे या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा। माना जा रहा है कि ऐसा
करने के लिए गहलोत को हर हाल में आलाकमान मनाने का प्रयास करेगा। गहलोत को दिल्ली
बुलाकर कांग्रेस कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है और उनके अनुभव का फायदा ले सकती
है। वैसे गहलोत सीएम कुर्सी की लालच में पहले ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को ठुकरा
चुके हैं। वैसे कांग्रेस आलाकमान के पास एक और विकल्प है कि सचिन पायलट को
मुख्यमंत्री बनाकर गहलोत को
राजस्थान का प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए। साथ
ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बंटने वाले टिकटों में उनके समर्थकों को
भी वरीयत दी जाए। ऐसे में दोनों नेताओं के बीच सियासी टकराव को खत्म करने के लिए
हाईकमान काम कर सकता है। गहलोत अक्सर पायलट को गद्दार कहते हुए हमला बोलने में
पीछे नहीं हटते हैं। उनकी बयानबाजी को लेकर कांग्रेस आलाकमान भी कई बार असहज दिखते
हैं। हाल ही में कांग्रेस मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने गहलोत
को इस तरह की बयान
से बचने की भी नसीहत दी थी। आगे उन्होंने कहा ये भी कहा था कि पार्टी में संगठन
सबसे महत्वपूर्ण है। उसके लिए जो भी कदम उठाना होगा पार्टी पीछे नहीं हटेगी। जिसके
बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि गहलोत व पायलट विवाद को खत्म करने के लिए कांग्रेस
पार्टी कड़ा एक्शन ले सकती है। वैसे वेणुगोपाल के राजस्थान दौरे के बाद भले ही
पायलट व गहलोत के बीच बयानबाजी को लेकर कुछ दिनों के लिए रोक लग गई हो लेकिन
सियासी जानकारों की माने
तो राज्य के इन दो नेताओं के बीच आंतरिक कलह खत्म होने का
नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस पार्टी को इन दोनों नेताओं को लेकर ठोस कदम उठाना
पड़ेगा वरना आगामी विधानसभा चुनाव-2023 में कांग्रेस की मुश्किलें बढ़े सकती हैं
और बीजेपी को इसका फायदा मिलने की संभावना है। कुछ महीने पहले राजस्थान कांग्रेस
में हुए सियासी ड्रामे को लेकर आलाकमान काफी नाराज चल रहा है। सूत्रों की माने तो
कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान में बड़ा एक्शन ले सकता है और जल्द ही नेतृत्व परिवर्तन
कर सकता है।
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