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- वैश्विक मंदी के काले बादलो का भारत पर कोई असर नही... वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
Posted by : achhiduniya
21 December 2022
राज्यसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने
कहा सरकार ने बजट अंडरएस्टीमेट नहीं किया था। उस समय की परिस्थितियों के अनुसार ही
फंड का प्रावधान किया गया था। रूस-यूक्रेन युद्द के कारण बदली परिस्थितियों के
कारण सरकार ने सप्लीमेंट्री ग्रांट की डिमांड की है। मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में नहीं आएगी, भले ही
दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था इससे घिर जाएं। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार के
प्रयासों से देश की अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है। वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट
में
कहा गया है कि भारत के मैक्रो फिस्कल फंडामेंटल अब साल 2013 के मुकाबले मजबूत हैं।
भारत को आईलैंड ऑफ होप कहा जा रहा है। सीतारमण
ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीनों में टैक्स रिसिप्ट्स में सालाना
आधार पर 18 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.। उन्होंने कहा कि सरकार अपने बोरोविंग शैड्यूल
में कोई बदलाव नहीं करेगी। गौरतलब है कि सरकार की सप्लीमेंट्री डिमांड फॉर ग्रांट पर विपक्षी दलों ने प्रश्न खड़े किए थे। सप्लीमेंट्री डिमांड
फॉर ग्रांट में सरकार ने 3.25757 लाख
करोड़ रुपए मांगे हैं। विपक्षी दलों के सांसदों ने आरोप लगाया कि सरकार को वित्तीय
वर्ष की शुरूआत में पैसा
चाहिए था तो सरकार ने अपना जो बजट था उसे अंडरएस्टीमेट
करके प्रस्तुत किया ताकि वित्तीय घाटे को छुपाया जा सके। निर्मला सीतारमण ने कहा
कि कई बड़ी विकसित अर्थव्यवस्थाएं मंदी का सामना कर रही हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि
उन्होंने कोविड-19 का सामना करने के लिए जो अप्रोच अपनाई, वह उस तरीके से अलग थी जो भारत ने अपनाया। कोविड से निपटने और
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भारत की अप्रोच कारगर थी। इसी वजह से भारतीय
अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ और देश
मंदी की चपेट में नहीं आया। वित्त मंत्री ने कहा कि कोरोना काल में दुनिया के कई
देशों ने इससे निपटने को कॉमन प्रिंसिपल्स का पालन किया। भारत में भी कुछ लोगों
ने इनका पालन करने का दबाव सरकार पर बनाया। परंतु हमने अलग रास्ता अपनाया। इसके
परिणाम सुखद रहे। वित्त मंत्री ने कहा कि बजट के समय परिस्थितियां कुछ और थीं और
उसके बाद कुछ और बन गई। कोरोना से उभर रही अर्थव्यवस्था के रूस-यूक्रेन युद्ध ने
झटका दिया। इससे सप्लाई चेन पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ा और कमोडिटी की कीमतों
में उछाल आ गया। खाद्य पदार्थों और तेल की
कीमतों में आए तेज उछाल से सरकार का खर्च बढ़ गया। वित्त मंत्री ने कहा कि फूड
सिक्योरिटी और उर्वरक सब्सिडी के लिए और पैसे की जरूरत है। इसीलिए सप्लीमेंट्री
ग्रांट की मांग की गई है। उन्होंने कहा कि आवश्क जरूरतों को पूरा करने के लिए
पैसे की कोई कमी नहीं है।
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