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- बिजली का ‘झटका’ इलेक्ट्रिसिटी रेट में वृद्धि कर सकती है केंद्र सरकार
Posted by : achhiduniya
16 January 2023
देश में कोयले को मुख्य रूप से रेल और सड़क मार्ग
से ही देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में भेजा जाता है। सड़क मार्ग से कोयले के
परिवहन में कई दिक्कतें और जाखिम हैं। सड़क मार्ग से कोयला भेजने से जहां
दुर्घटनाएं होती हैं, वहीं पर्यावरण प्रदूषण भी ज्यादा
होता है। कई जगह सड़कें काफी संकरी हैं, इससे
कोयले की ढुलाई में ज्यादा समय भी लगता है। इन सब समस्याओं को देखते हुए सरकार
ने फैसला लिया है कि कोयले का परिवहन इस तरह से किया जाए कि कोयला आबादी से गुजरे
ही नहीं,इसलिए समुद्र के वैकल्पिक रूट
की पहचान कोयला ढुलाई के लिए की
गई है। फिलहाल देश में कोयला रेल, सड़क, रेल-शिप मोड, एमजीआर सिस्टम, कन्वेयर बेल्ट और रोपवे जैसे तरीकों से लाया-ले जाया जाता है। हाल
ही में ऊर्जा मंत्रालय ने गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और एनटीपीसी को कहा है
कि वो अपनी जरूरत के कोयले में से कुछ हिस्से का ट्रांसपोर्ट रेल-शिप-रेल मोड से
करें। इस तरीके से पहले खदानों से कोयला रेल के जरिए नजदीकी बंदरगाह तक पहुंचाया
जाता है,फिर समुद्री रास्ते से कोयला पावर प्लांट के नजदीकी बंदरगाह तक
पहुंचता है। फिर वहां से रेल के द्वारा ही कोयला पावर प्लांट में पहुंचाया जाता
है। मीडिया की
एक रिपोर्ट के अनुसार अगर कोयले की जरूरत के पांचवें हिस्से का
परिवहन भी नए तरीके से किया जाएगा तो पावर प्लांट की लागत बढ़ सकती है,अगर इस लागत का हिस्सा ग्राहकों पर डालने का फैसला लिया जाता है
तो संभव है आपको पहले से ज्यादा बिल चुकाना पड़ेगा। केंद्र सरकार ने इस फैसले का
विरोध करते हुए कहा है कि फैसले से सालाना उस पर 200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ
पड़ेगा। पंजाब ने मांग की है कि उसे पूरा कोयला रेल मार्ग से पाने की छूट दी जाए। कोयले
की ढुलाई
के खर्च में इजाफा होने की वजह से बिजली कंपनियां आने वाले समय में इलेक्ट्रिसिटी
रेट में वृद्धि कर सकती है। हाल ही में केंद्र सरकार ने फैसला लिया था कि एनटीपीसी
समेत देश के कई राज्यों को कोयले का ट्रांसपोर्ट रेल और समुद्र के मिले जुले
तरीकों से करना होगा। नए रेल-शिप-रेल मैकेनिज्म से पावर प्लांट की बिजली बनाने की
लागत में 10 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
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