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- मोबाइल चोरी के गुर सीखने वाली पाठशाला का पुलिस ने किया पर्दाफ़ाश
Posted by : achhiduniya
17 January 2023
पाठशालाओं के संचालक बड़ी संख्या में बच्चों को
ट्रेंड करने के बाद उन्हें बड़े शहरों और महानगरों में भेज रहे हैं। इसके बाद इन
बच्चों की अलग-अलग इलाकों में बकायदा ड्यूटी लगाने से लेकर उनपर निगरानी तक का काम
गिरोह के सरगनाओं के जिम्मे रहता है। रांची के डेली मार्केट थाने की पुलिस ने
मोबाइल चोरी करने वाले गिरोह के चार बाल सदस्यों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से
चोरी के 43 मोबाइल बरामद किए गए हैं। गौरतलब है की झारखंड
के साहिबगंज जिला अंतर्गत राजमहल और तीनपहाड़ इलाके में बच्चों को
मोबाइल चोरी की
ट्रेनिंग देने वाली पाठशालाएं' चलाई जा रही हैं। चोरी की
ड्यूटी करने वाले बच्चे अपने मां-पिता की मर्जी से यह काम करते हैं। ज्यादातर
बच्चे कमजोर माली हालत वाले परिवारों से आते हैं। गिरोह में शामिल ज्यादातर
साहेबगंज जिले के तीनपहाड़, तालझारी, महाराजपुर एवं पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के बरनपुर, हीरापुर, आसनसोल आदि जगहों के हैं। बच्चों
ने पुलिस को बताया है कि उन्हें हर दिन 8 से 10 मोबाइल चोरी करने का टारगेट दिया
जाता है। हर मोबाइल चोरी पर उन्हें मिलने वाला मेहनताना तय है। मोबाइल की कंपनी और
ब्रांड के अनुसार उन्हें प्रति मोबाइल एक हजार से दो हजार रुपए तक मिलते हैं। गिरोह
में शामिल बड़ी उम्र वाले लोग बच्चों के इर्द-गिर्द ही खड़े रहते हैं। मोबाइल
उड़ाने के तुरंत बाद ये बच्चे उसे बड़ी
उम्र वाले सदस्यों को सौंप देते हैं। बड़ी
संख्या में चोरी का मोबाइल जमा होने पर गिरोह का बॉस इन्हें लेकर साहिबगंज चला
जाता है। पकड़े गए बच्चों ने पुलिस को बताया कि मोबाइल चोरी करने की ट्रेनिंग उन्होंने
तीनपहाड़ राजमहल में पाई। बॉस सूरज, चंदन
एवं अन्य ने उन्हें वो तरीके बताए, जिसकी मदद
से मोबाइल उड़ाया जा सकता है। इसके बाद उन्हें वनांचल एक्सप्रेस ट्रेन से रांची
लाया गया। मोबाइल चोरी करने के लिए सबसे मुफीद ठिकाना सब्जी और डेली मार्केट होता
है। मेलों और पब्लिक मीटिंग वाले जगहों पर मोबाइल उड़ाकर नजरों से ओझल होना आसान
होता है। एक पुलिस अफसर ने बताया कि चोरी किए गए मोबाइल बांग्लादेश, नेपाल तक पहुंचाए जाते हैं। एक साल में बच्चा चोर गिरोह के 30
से ज्यादा सदस्य केवल रांची में पकड़े गए हैं।
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