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- RSS चीफ मोहन भागवत ने की मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ संपर्कवार्ता
Posted by : achhiduniya
26 January 2023
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के हाल ही में दिए गए इंटरव्यू, काशी के ज्ञानवापी मस्जिद एवं मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मसले
से जुड़े विवाद, गौ-हत्या, मॉब
लिंचिंग, दोनों पक्षों की तरफ से आने वाले विवादित बयानों के साथ ही काफिर
शब्द का इस्तेमाल नहीं करने के मसले मुस्लिम बुद्धिजीवियों और उलेमाओं के साथ बीते 14
जनवरी को तीन घंटे की लंबी मैराथन बैठक हुई।
इस मैराथन बैठक में यह तय हुआ कि
दोनों ही पक्ष पहले सहमति और सौहार्द वाले मुद्दों को लेकर आगे बढ़ेंगे और जल्द ही
दोनों पक्षों की तरफ से एक और बड़ी बैठक की जाएगी। दिल्ली के दरियागंज में पूर्व
उपराज्यपाल नजीब जंग के घर पर 14 जनवरी को हुई इस बैठक में आरएसएस की तरफ से कृष्ण गोपाल, रामलाल और इंद्रेश कुमार शामिल हुए। वहीं, मुस्लिमों की तरफ से नजीब जंग के साथ ही पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, पूर्व सांसद शाहिद
सिद्दीकी, उद्योगपति एवं समाजसेवी सईद शेरवानी, जमात ए इस्लामी हिंद से मलिक मोहतसिम खान, जमीयत उलेमा ए हिंद के महमूद मदनी गुट से मौलाना नियाज फारूकी
एवं जमीयत के अरशद मदनी
गुट से मौलाना फजलुर रहमान कासमी, अजमेर शरीफ से सलमान चिश्ती, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इस्लामिक स्टडीज के जानकार सहित दोनों पक्षों की तरफ से लगभग 20 लोग बैठक में मौजूद थे। बैठक में संघ ने काशी और मथुरा
का मसला उठाया, तो मुस्लिम पक्ष की तरफ से यह
स्पष्ट तौर पर कहा गया कि इन दोनों मसलों का समाधान तो अदालत के जरिए ही हो सकता
है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से मॉब लिंचिंग का मसला उठाया गया, जिसे आरएसएस नेताओं ने भी गलत माना। वहीं, संघ नेताओं की ओर से हिंदू भावना का सम्मान और गौ हत्या का मसला उठाने पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से कहा गया कि अगर सरकार पूरे देश में गौ हत्या पर पाबंदी का कानून बनाना चाहती है, तो उन्हें कोई
आपत्ति नहीं है और वो इसका समर्थन करेंगे। बैठक में काफिर शब्द के इस्तेमाल का भी मुद्दा उठा।
सूत्रों के मुताबिक, संघ नेताओं की तरफ से यह कहा
गया कि राष्ट्र सभी को जोड़ता है। हर समुदाय में अलग-अलग फिरके हैं, तो जो किसी भी रूप में ईश्वर यानी ऊपर वाले को मानता है, तो उसे काफिर कैसे कहा जा सकता है? जिस पर मुस्लिम पक्ष यहां तक कि मुस्लिम उलेमाओं ने भी यह स्वीकार किया कि हिंदुस्तान और हिंदुओं के संदर्भ में काफिर शब्द का इस्तेमाल करना पूरी तरह से गलत और
अनुचित है और इसका इस्तेमाल कतई नहीं होना चाहिए। पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि बैठक में इस बात को लेकर सहमति बनी कि दोनों ही पक्ष पहले सहमति वाले मुद्दों को लेकर आगे बढ़ें, ताकि समाज में शांति और सौहार्द कायम हो सके। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही दोनों
पक्षों की तरफ से एक और बड़ी बैठक की जाएगी, जिसमें
कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। इस तरह की बैठक देश के अलग-अलग हिस्सों में भी
आयोजित करने पर चर्चा हुई।
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