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महिलाओं-पुरुषो के संवैधानिक अधिकारो की रक्षा के लिए कटिब्ध है सुप्रीम कोर्ट...सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़
Posted by : achhiduniya
04 February 2023
भारत के नए चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ कई मौकों
पर न्यायिक क्षेत्र में लिंग-समता पर जोर दिए जाने की बात कह चुके हैं। चीफ जस्टिस
डी वाई चंद्रचूड़ ने एक मौके पर कहा कि मैं आपको विशेष रूप से सलाह दूंगा कि आप
कानूनी मामलों से निपटने में नारीवादी सोच को शामिल करें। मैंने कई मामलों को देखा
जहां महिलाओं के साथ अक्सर सबसे खराब अपराध किए जाते हैं। वैसे तो हर चीफ जस्टिस
की इच्छा होती है कि वो एक विरासत को छोड़कर जाए।
जो उनके ऐतिहासिक फैसलों से सामने आती है। सीजेआई चंद्रचूड़ के न्याय विभाग
में नारीवादी रुख पर बार-बार जोर देने और अपने फैसलों में नारीवादी दृष्टिकोण को
शामिल करने के उनके प्रभावशाली
ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि शायद लिंग समानता का रुख उनकी
स्थायी विरासत होगी। CJI की डी वाई चंद्रचूड़ टिप्पणी न
केवल महिलाओं से जुड़े मामलों पर न्यायाधीशों, शिक्षाविदों, वकीलों और छात्रों को अधिक संवेदनशील होने की जरूरत पर रोशनी
डालती है। बल्कि उसे कानूनी शिक्षा में शामिल करने के लिए भी एक मुद्दा बनाती है। CJI डी वाई चंद्रचूड़ क महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों पर
प्रगतिशील निर्णय देने का ट्रैक रिकॉर्ड है। सीजेआई ने कहा कि चाहे विरासत के कानून की व्याख्या का मामला हो या फिर
सेनाओं में महिलाओं के प्रवेश को सुरक्षित करने का, हमारी
अदालत लैंगिक समानता के एक मजबूत समर्थक के रूप में
उभरी हैं। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत के लिए कोई बड़ा या छोटा मामला नहीं
होता है। हर मामला महत्वपूर्ण होता है क्योंकि नागरिकों की शिकायतों से जुड़े छोटे
मामलों में ही संवैधानिक और न्यायशास्त्र के महत्व के
मुद्दे सामने आते हैं। ऐसी शिकायतों को दूर करने में अदालत केवल अपने संवैधानिक
दायित्वों का पालन करती है।
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