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- ठेले-बैल गाड़ी पर निरीश सरकार की स्वास्थ्य व्यवस्था....
Posted by : achhiduniya
19 June 2023
बिहार
की नीतिश कुमार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर दावे भले ही कितने ही
क्यों ना कर ले,
लेकिन
अक्सर ऐसी तस्वीर सामने आती हैं जो हेल्थ सिस्टम को सवालों के कटघरे में लाकर खड़ा
कर देती है। बीते 8 जून को भी सुपौल के सदर अस्पताल में ऐसी ही तस्वीर
देखने को मिली थी। यहां एक सफाईकर्मी बेहोश होकर गिरा था। उसकी गंभीर हालत को
देखते हुए सदर अस्पताल ने रेफर किया था, लेकिन रेफर करने के 4 घंटे बाद भी उसे एंबुलेंस
नहीं मिल पाई थी। अस्पताल में मौजूद
एंबुलेंस को कैंसर मरीज के लिए रिजर्व बताया गया था। बिहार से ऐसी तस्वीरें क्यों
सामने आ रही है। क्या स्वास्थ्य मंत्री का मिशन 60 सिर्फ अस्पताल के बिल्डिंग
को
चमकाने के लिए था? ये सवाल बार-बार उठते हैं, लेकिन ना तो जिम्मेदारों पर
कार्रवाई होती है और ना ही व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कोई पहल की जाती है। ताजा
मामला नवादा जिले के सदर अस्पताल का है, जहां सिरोमनी नाम की महिला
कई दिनों से बीमार थी। जब महिला की अचानक
तबीयत ज्यादा खराब होने लगी तो परिजन आनन-फानन में टोल फ्री नंबर पर कॉल किया, लेकिन बार-बार कॉल करने पर
भी नंबर नहीं लगा इस बीच मरीज की हालत और खराब होती जा रही थी। जिसके
बाद मजबूर होकर परिजन मरीज को अस्पताल लेकर आए।
परिजन करीब 2 किलोमीटर तक ठेले को धक्का
देकर मरीज को अस्पताल तक लाए। जिसके बाद उसे भर्ती किया गया। हालांकि डॉक्टरों ने
मरीज की हालत को देख उसे दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया। दूसरे अस्पताल में भर्ती
कराया गया इससे जाहिर है कि मरीज की हालत गंभीर थी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर
उसे अस्पताल पहुंचने में देर हो जाती तो कौन जिम्मेदार होता? क्या टोल फ्री नंबर सिर्फ
खानापूर्ति के लिए है? ये कहना गलत नहीं होगा कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था
भगवान भरोसे है।