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चुनावी चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करे SBI को डेड लाइन दी सुप्रीम कोर्ट ने...
Posted by : achhiduniya
11 March 2024
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को एक ऐतिहासिक फैसले में, चुनावी बॉन्ड योजना को
रद्द कर दिया था और इसे असंवैधानिक करार देते हुए निर्वाचन आयोग को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई
राशि और प्राप्तकर्ताओं का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश
दिया था। योजना को तुरंत बंद करने का आदेश देते हुए, कोर्ट ने योजना के तहत
अधिकृत बैंक एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी
बॉन्ड का विवरण 6 मार्च तक निर्वाचन आयोग को सौंपने का निर्देश दिया था।
साथ ही, आयोग को अपनी वेबसाइट पर 13 मार्च तक यह जानकारी
प्रकाशित करने को कहा था। एसबीआई ने 4 मार्च को, राजनीतिक दलों द्वारा
भुनाये गए चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की
मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। भारतीय स्टेट बैंक [SBI] की ओर
से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया
कि बैंक को भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त
समय की आवश्यकता है। साल्वे ने कहा कि SBI की एकमात्र समस्या यह
है कि वह पूरी प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहा है। SOP ने सुनिश्चित किया कि हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में
खरीदार का कोई नाम नहीं था। हमें बताया गया कि इसे गुप्त रखा जाना चाहिए। वहीं
सुप्रीम कोर्ट ने SBI से कहा कि उसने अपने
फैसले में बैंक से मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा है, हमने स्पष्ट खुलासा करने
का निर्देश दिया है।
इसलिए यह कहते हुए समय मांगना कि एक मिलान अभ्यास किया जाना
है,
उचित
नहीं है, हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है। कोर्ट ने साफ तौर पर
कहा है कि 12 मार्च को कामकाजी समय समाप्त होने तक चुनावी बांड के विवरण का
खुलासा करें। दरअसल इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने SBI को फटकार लगाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने भारतीय स्टेट
बैंक [SBI] की याचिका को भी खारिज
कर दिया है। बता दें कि SBI ने एक याचिका दायर कर
भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांड का विवरण जमा करने के लिए 30 जून तक समय बढ़ाने की
मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने SBI से फटकार लगाते हुए 12 मार्च को कामकाजी समय
समाप्त होने तक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने को कहा है। गौरतलब है की अपनी अर्जी में, SBI ने दलील दी है कि
प्रक्रिया को पूरा करने में समय लगेगा।
अर्जी में कहा गया है कि चुनावी बॉन्ड को डीकोड (कूट रहित) करना और चंदे
का मिलान इसे देने वालों से करना एक जटिल प्रक्रिया होगी। अर्जी में दलील दी गयी
है,
बॉंन्ड
जारी करने से जुड़े आंकड़े और बॉन्ड को नकदी में परिवर्तित करने से संबद्ध आंकड़े
दो अलग-अलग स्थानों पर हैं। यह चंदा देने वालों की गोपनीयता को सुरक्षित रखने के
लिए किया गया था। अर्जी में कहा गया है,चंदा देने वालों का
विवरण बैंक की निर्दिष्ट शाखाओं में सीलबंद लिफाफों में रखा गया है और ये सीलबंद
लिफाफे अर्जी दायर करने वाले बैंक की मुख्य शाखा में जमा किये गए हैं
, जो मुंबई में है।