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- नए कोरोना वैरिएंट पर क्या पिछला टीकाकरण कारगर रहेगा….?
Posted by : achhiduniya
03 June 2025
Covid-19
कोरोना वायरस ने पूरी
दुनिया को भारी मुश्किल में डाल दिया था। इससे लाखों लोग मारे गए थे। उस समय भारत
में व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया गया था। लोगों को सबसे ज़्यादा
कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन लगाई गई थीं। कुछ लोगों ने रूसी स्पुतनिक वैक्सीन
भी ली थी,लेकिन क्या दो-तीन साल पहले ली गई वैक्सीन मौजूदा वैरिएंट के ख़िलाफ़
कारगर होगी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन महाराष्ट्र के पूर्व अध्यक्ष डॉ.अविनाश भोंडवे
ने कहा कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दो डोज़ के साथ बूस्टर डोज़ ली है, उन्हें थोड़ा फ़ायदा ज़रूर होगा। उन्होंने कहा,ये टीके पहले कोविड वायरस के ख़िलाफ़ बनाए गए थे। वे टीके
मूल वायरस के ख़िलाफ़ पूरी तरह से असरदार नहीं थे। डॉक्टर कहते हैं कि ऐसा नहीं है
कि वैक्सीन लगने के बाद आपको कोरोना का संक्रमण नहीं होगा,लेकिन
संक्रमित होने पर
लक्षण मामूली हो सकते हैं। हालांकि जिन लोगों ने टीके की दोनों डोज़ और बूस्टर
डोज़ ले ली है, उनमें
लंबे समय तक इम्यूनिटी बनी रह सकती है,लेकिन जिन्होंने केवल सिर्फ़ एक या दो डोज़
ली है उनकी इम्यूनिटी कम हो सकती है। डॉ.अविनाश भोंडवे ने कहा,कोरोना वैक्सीन से निश्चित तौर पर फ़ायदा होगा लेकिन केवल उन
लोगों को लाभ होगा जिन्हें दो डोज़ और एक बूस्टर डोज़ मिली है। वहीं डॉ. अविनाश
गावंडे का कहना है कि पहले की वैक्सीन मौजूदा वैरिएंट पर काम नहीं करेगी।
उनके
मुताबिक़,कोरोना
के ख़िलाफ़ हर साल टीका लगवाना फ़ायदेमंद होगा। इसके लिए हर साल नए टीके विकसित
करने होंगे, क्योंकि
नए वैरिएंट पर पुराने टीके काम नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, जिस तरह एक साल पहले दिया गया इन्फ्लुएंज़ा का टीका अगले साल
किसी काम का नहीं रहता और नया टीका विकसित करना पड़ता है, उसी तरह अगर कोरोना पर पूरी तरह से काबू पाना है तो नए टीके
विकसित करने होंगे। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर कुछ लोगों में पुराने टीकों
से इम्यूनिटी बनी हुई है तो इससे मौजूदा वैरिएंट से लड़ने में मदद मिलेगी। अविनाश
भोंडवे का कहना है कि रिसर्च महंगी होने की वजह से नया टीका बनाना संभव नहीं लगता।
डॉक्टरों के अनुसार इन्फ्लुएंज़ा वायरस लगातार म्यूटेट करता रहता है
, इसलिए हर साल इसका नया टीका जारी किया जाता है। अविनाश भोंडवे
ने कहा,कोरोना
के नए वैरिएंट आते रहेंगे। इसलिए हर बार नया टीका बनाना संभव नहीं है क्योंकि
रिसर्च में बहुत ख़र्च होता है।
डॉक्टर कहते हैं कि यह सही है कि हर साल जब वायरस
का कोई वैरिएंट सामने आता है तो उसके लिए वैक्सीन बनाई जानी चाहिए। डॉ. अविनाश
गावंडे ने कहा कि इस बार नई लहर की आशंका कम है. इसके पीछे वो तीन कारण बताते हैं।
पहला, हमारे
देश में बड़ी संख्या में लोगों को टीका लगाया जा चुका है। इसलिए, कुछ लोगों में इस वैरिएंट से लड़ने के लिए कम से कम कुछ
इम्यूनिटी तो है। दूसरा, हालांकि
यह वैरिएंट तेज़ी से फैल रहा है,लेकिन इसकी गंभीरता कम है। भले ही यह कई लोगों के
साथ हो लेकिन यह जल्द ही ठीक हो जाएगा इसलिए उन्होंने कहा कि पहले जैसे हालात नहीं
होंगे। तीसरा, अगर कोई
व्यक्ति इस वैरिएंट से संक्रमित भी हो तो भी उसे पता नहीं चलता क्योंकि रोग की
गंभीरता कम होती है। हालांकि इस वैरिएंट से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति के शरीर
में इस वैरिएंट से लड़ने के लिए इम्यूनिटी विकसित हो सकती है। डॉ.अविनाश गावंडे का
कहना है कि नया वैरिएंट जेएन.1 ओमिक्रॉन
का एक सब- वैरिएंट है। हालांकि इसके लक्षण हल्के हैं, यह गंभीर नहीं है, इसलिए
अस्पताल में भर्ती मरीज़ों की संख्या भी कम नज़र आ रही है। वो कहते हैं,लेकिन इस वैरिएंट में मरीज़ों की संख्या बढ़ती भी है तो ऐसी
स्थिति नहीं आएगी कि ज़्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़े। क्योंकि इसके
लक्षण बहुत हल्के होते हैं। मृत्यु दर भी कम है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि
कोरोना की नई लहर आएगी,लेकिन
जिन लोगों को पहले से ही दूसरी बीमारियां हैं उन्हें चिंता करने की ज़रूरत है।