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- 1700 फैक्ट्रियों का अपशिष्ट कर रहा यमुना नदी को गंदा राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने बताई सच्चाई...
Posted by : achhiduniya
28 July 2025
दिल्ली
प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) की हालिया रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि हुई है
कि यमुना में गिरने वाले 27 प्रमुख नालों में से साहिबाबाद ड्रेन सबसे प्रदूषित
है। रिपोर्ट के मुताबिक Biological
Oxygen Demand व Chemical
Oxygen Demand के
स्तर कई गुना ज्यादा पाए गए हैं, जो न केवल जलीय जीवों के लिए खतरनाक हैं बल्कि मानव
स्वास्थ्य के लिए भी चिंताजनक विषय हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सुशील राघव
ने सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में याचिका दायर की थी। एनजीटी ने इस पर सख्त निर्देश
दिए थे कि नाले के किनारे से
अतिक्रमण हटाया जाए, नाले की सफाई हो और नाले को प्रदूषण मुक्त किया जाए, लेकिन जमीनी स्तर पर इन आदेशों
का कोई असर नहीं हुआ। अब तक न तो फैक्ट्रियों का
अपशिष्ट रोकने के लिए ठोस उपाय किए गए हैं और न ही नाले के उपचार की कोई प्रभावी
व्यवस्था लागू की गई। यमुना
नदी को सबसे ज्यादा प्रदूषित करने वाला नाला साहिबाबाद ड्रेन है। यह नाला
गाजियाबाद के लोनी क्षेत्र से निकलकर टीला मोड़, पसौंडा, शालीमार
गार्डन, शहीद
नगर, रामप्रस्थ
ग्रीन, साहिबाबाद
औद्योगिक क्षेत्र साइट-4, वैशाली व गाजीपुर होते हुए शाहदरा ड्रेन से यमुना में
गिरता है।
दिल्ली व गाजियाबाद के कई घनी आबादी वाले इलाकों और करीब 1700 फैक्ट्रियों
का अपशिष्ट इसी नाले के जरिए यमुना में पहुंच रहा है। इस प्रदूषित नाले में घरेलू
सीवेज के साथ-साथ साहिबाबाद साइट-4 की सैकड़ों फैक्ट्रियों का औद्योगिक अपशिष्ट भी
पहुंचता है। इससे यह न केवल यमुना को
प्रदूषित कर रहा है बल्कि इसके किनारे बसे इलाकों का भूजल भी तेजी से दूषित हो रहा
है। पर्यावरणविदों के अनुसार इस
पानी का उपयोग किसी भी रूप में मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक है। पर्यावरणविद और सामाजिक कार्यकर्ता सुशील राघव ने मांग की है कि
सरकार को इस दिशा में तुरंत प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
साहिबाबाद ड्रेन में गिरने वाले औद्योगिक अपशिष्ट के लिए
प्री-ट्रीटमेंट की व्यवस्था, फैक्ट्रियों की नियमित निगरानी व घरेलू सीवेज के लिए
अलग पाइपलाइन सिस्टम जरूरी है। अन्यथा यह नाला आने वाले समय
में न केवल यमुना बल्कि मानव जीवन के लिए भी गंभीर संकट बन जाएगा।