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- लाखों लोगों के मतदाता सूची से बाहर होने पर कोर्ट स्वयं संज्ञान लेगा...
Posted by : achhiduniya
29 July 2025
बिहार में मतदाता सूची के मसौदा प्रकाशन में लाखों
लोग छूट जाते हैं, तो याचिकाकर्ता यह बता सकते हैं कि वे जीवित हैं और पात्र हैं। कोर्ट ने ज़ोर
देकर कहा कि अगर बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर रखा जाता है, तो
अदालत तुरंत हस्तक्षेप करेगी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत
और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई की,एसोसिएशन फॉर
डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने न्यायालय का ध्यान भारतीय
चुनाव आयोग के इस कथन की ओर दिलाया कि मतदाता सूची के विशेष गहन
पुनरीक्षण के
दौरान 65
लाख लोगों ने गणना फॉर्म जमा नहीं किए हैं। क्योंकि वे या
तो मर चुके हैं या स्थायी रूप से कहीं और चले गए हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश
द्विवेदी ने पीठ के समक्ष चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व किया। पीठ ने कहा कि भारत
निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक प्राधिकरण है,इसलिए उसे कानून के अनुसार कार्य करना माना जाएगा तथा याचिकाकर्ताओं के वकील को आश्वासन दिया कि न्यायालय
एसआईआर प्रक्रिया के संबंध में उनकी सभी चिंताओं को सुनेगा। पीठ ने कहा,आपकी आशंका यह है कि लगभग 65 लाख मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे।
चुनाव आयोग 2025 की प्रविष्टि के संबंध में सुधार की मांग कर रहे हैं। हम एक
न्यायिक प्राधिकारी के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि वह
मसौदा सूची से जुड़े मुद्दों पर याचिकाकर्ताओं की बात सुनेगी। 12 और 13 अगस्त को दलीलें
सुनने के लिए मामले पर सुनवाई कर सकती है। द्विवेदी ने कहा कि 12 और 13 अगस्त को असली
तस्वीर सामने नहीं आएगी, सिर्फ आपत्तियां होंगी
और तस्वीर जस की तस रहेगी। एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल
शंकरनारायणन ने कहा कि सूची 1 अगस्त को जारी होगी
और उन्हें यही तस्वीर चाहिए।
राजद सांसद मनोज झा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ
अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वे जानते हैं कि ये 65 लाख लोग कौन हैं और उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यदि
चुनाव आयोग मसौदा सूची में नामों का उल्लेख करता है,तो कोई समस्या नहीं है। पीठ ने कहा कि अगर बड़े पैमाने पर
बहिष्कार हुआ,
तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। न्यायमूर्ति बागची ने कहा, बाहर लाएं और कहें कि ये 20 लाख लोग हैं, जो जीवित हैं और वे मतदाता हैं। द्विवेदी ने तर्क दिया कि
आपत्तियों पर विचार करने के बाद ही असली तस्वीर सामने आएगी कि किसे खारिज किया गया
है और किसे नहीं। द्विवेदी ने कहा, वरना, यह सब अटकलें ही
रहेंगी। 1
अगस्त को सूची का मसौदा तैयार होगा और आपत्तियां, दावे और सुधार आवेदन दाखिल करने के लिए 30 दिन का समय होगा। प्रकाशन 30 सितंबर को होगा।