- Back to Home »
- Judiciaries »
- लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है राजनीतिक दल-बदल…सुप्रीम कोर्ट ने चेताया
Posted by : achhiduniya
31 July 2025
सुप्रीम कोर्ट
ने राजनीतिक दल-बदल को लेकर बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा,अगर समय रहते इसे नहीं रोका
गया तो यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने संसद में दिए
गए कई नेताओं के भाषणों का हवाला भी दिया। कोर्ट ने राजेश पायलट,देवेन्द्रनाथ मुंशी जैसे सांसदों के
भाषणों का जिक्र करते हुए कहा कि विधायक/सांसद की अयोग्यता तय करने का अधिकार
स्पीकर को इसलिए दिया गया ताकि अदालतों में समय बर्बाद न हो और मामला जल्दी सुलझे।
राजनीतिक दलबदल राष्ट्रीय चर्चा का विषय रहा है,अगर इसे रोका नहीं गया तो यह
लोकतंत्र को बाधित करने की शक्ति रखता है। हमने संसद में दिए गए विभिन्न भाषणों का
हवाला दिया है। जैसे श्री राजेश पायलट, देवेंद्र नाथ मुंशी। हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अयोग्यता
की कार्यवाही का निर्णय स्पीकर द्वारा करना अदालतों में होने वाली देरी से बचने के
लिए था। इसलिए कार्यवाही के शीघ्र निपटारे के लिए यह कार्य स्पीकर को सौंपा गया था।
यह तर्क दिया गया कि चूंकि मामला एक बड़ी पीठ के समक्ष लंबित है,
इसलिए हम इस मामले
का निर्णय नहीं कर सकते। हमने कि होतो होलोहन फैसले का भी हवाला दिया है,
जहां अनुच्छेद 136
और अनुच्छेद 226
व 227
के संबंध में
न्यायिक समीक्षा की शक्तियां बहुत सीमित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे सामने ये
भी दलील दी गई कि आर्टिकल 136 और 226/227
के तहत स्पीकर के
फैसलों पर न्यायिक समीक्षा की गुंजाइश बहुत सीमित है। ये भी कहा गया कि चूंकि
मामला बड़ी बेंच के सामने लंबित है तो इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है। इन दस BRS
विधायकों ने
कांग्रेस जॉइन कर लिया था लेकिन स्पीकर ने इनकी अयोग्ता पर लंबे समय तक कोई फैसला
नहीं लिया। जस्टिस गवई ने कहा कि स्पीकर ने सात महीने बाद नोटिस जारी किया जब इस
अदालत ने इस मामले में नोटिस भेजा। संसद का ये काम स्पीकर को सौंपने की मंशा ये थी
कि अदालतों में टालमटोल की स्थिति से बचा जा सके।