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- डिजिटल पेमेंट-ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में हुए बदलाव जान ले एक बार
Posted by : achhiduniya
02 August 2025
NPCI (National Payments
Corporation of India) के इन
नियमों का मकसद ट्रांजेक्शन सर्वर पर बढ़ते लोड को कंट्रोल करना और सिस्टम को
ज्यादा सुरक्षित बनाना है. क्योंकि पिछले कुछ महीनों में तकनीकी गड़बड़ियों और
सर्वर स्लो होने की शिकायतें तेजी से बढ़ी थीं। अब इसे लेकर कुछ
बदलाव किए गए हैं। इसका लोगों पर क्या असर पड़ेगा, क्या रहेगा नया सिस्टम किन बातों का ध्यान रखना
चाहिए। अब आप
एक दिन में अधिकतम 50 बार ही बैलेंस चेक
कर पाएंगे। इसके बाद ऐप एरर मैसेज देगा और ट्रांजेक्शन फेल हो सकता है। यह सीमा सभी UPI ऐप्स (Google Pay, PhonePe,
Paytm, BHIM आदि) पर लागू होगी। अब EMI, बिजली/पानी के
बिल या सब्सक्रिप्शन की ऑटो-डेबिट
पेमेंट अब निश्चित टाइम स्लॉट में होगी. इसे तीन फिक्स टाइम स्लॉट्स में प्रोसेस
किया जाएगा। सुबह: 6 बजे से 9:59 बजे तक,दोपहर: 1 बजे से शाम 5 बजे तक,रात: 9:30 बजे के बाद,इन स्लॉट्स के बाहर कोई ऑटो-पेमेंट प्रोसेस नहीं
होगी। यदि कोई
पेमेंट अटक जाए,
तो आप अब सिर्फ तीन बार ही उसका स्टेटस
चेक कर सकते हैं और हर बार के बीच 90 सेकंड
का अंतर जरूरी होगा। बार-बार चेक करने से सर्वर पर लोड बढ़ता है, इसलिए यह सीमा तय की गई है। NPCI के अनुसार, 2025 की शुरुआत में दो बार (मार्च और अप्रैल) देशभर
में UPI सर्वर स्लो या डाउन हुआ।
इस दौरान हजारों
पेमेंट्स अटक गईं। यह अधिकतर इसलिए हुआ क्योंकि-लोग बार-बार बैलेंस चेक कर रहे थे। एक ही समय में लाखों
लोग ट्रांजेक्शन कर रहे थे। पेमेंट अटकने पर बार-बार स्टेटस चेक किया जा रहा
था। इनसे UPI सर्वर पर भारी लोड आया और आउटेज की स्थिति बनी। इसी के बाद यह
निर्णय लिया गया कि यूजर बिहेवियर को थोड़ा सीमित करना जरूरी है। हर पेमेंट पर टाइम
लिमिट और वेरिफिकेशन टोकन। बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन (UPI 2.0 में)। डिजिटल फ्रॉड से बचने के लिए साइबर सेल की
निगरानी बढ़ी। UPI आज भारत
की डिजिटल रीढ़ बन चुका है। हर वर्ग, हर उम्र के लोग इससे जुड़े हैं। जब ट्रांजेक्शन की
संख्या इतनी अधिक हो गई है,तो सिस्टम को बनाए
रखने के लिए कुछ सीमाएं ज़रूरी हैं। NPCI का मकसद सिस्टम को तेज़, सुरक्षित और भरोसेमंद बनाना है।