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- खुशिया बाटने से बड़ती ही नही वरण......?
Posted by : achhiduniya
26 November 2014
खुशिया बांटे सेहत और इज्जत मुफ्त पाए........
मित्रो प्रणाम ......आप जब भी किसी राह से गुजरते
है तो आप पूरी तरह से सचेत और चौकन्ने होकर जाते है ताकी रास्ते मे कोई मुसीबत या परेशानी
मे न पड़ जाए ,फिर सेहत के प्रती इतने लापरवाह क्यो हो
जाते है....?पैसा जीवन के लिए आवश्यक है,लेकिन सिर्फ उसी के पीछे भागना कहा तक उचित है । कभी रुककर इस पर भी विचार
कर लिया जाए तो ठीक है। एक सुंदर मकान के निर्माण के
लिए सर्वप्रथम हम ऊबड़-खाबड़ व पथरीली जमीन को समतल बनाते हैं, तब ही उस सुंदर मकान की नींव रखी जाती है व इमारत बनने का स्वप्न साकार होता
है।
इसी प्रकार जीवन रूपी इमारत के निर्माण में भी हमारी सकारात्मक सोच का बड़ा ही प्रभाव
होता है। अगर आपकी सोच ठीक होगी तब आप अच्छी सेहत ही नही अपनी मन चाही मंजिल को आसानी
से पा सकते है। आज के इस आपाधापी के युग में मानवीय मूल्यों में कमी देखी जा रही है।
फलस्वरूप एक-दूसरे के प्रति ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार व वैमनस्य अधिक दिखाई दे रहा है। प्यारभरे शब्दों का अकाल-सा पड़ गया
है। चिड़चिड़ापन, गुस्सा, हिंसा सामान्य बात
हो गई है।
दबाव व तनाव के कारण उच्च रक्तचाप, मधुमेह,
अवसाद आदि बीमारियां घर कर गई हैं।इन बिमारियो से छुटकारा पाने के लिए
आपको कुछ आसान उपाय करने होगे सबसे पहले तो
आप को ऐसे मित्रो,रिश्तेदारों ,सहकर्मियो
या ऐसे माहौल से बचने का पूरा पर्यास हमेशा
करते रहना चाहिए। अगर हमें स्वस्थ,
सुखद एवं सफल जीवन जीना है तो अपनी सोच व विचारों को बदलना होगा। ऐसे
जीवन के लिए बहुत अधिक सुख-सुविधा या धन-धान्य की परिपूर्णता आवश्यक नहीं है,
बस चाहिए सकारात्मक सोच या दृष्टिकोण। इन बिंदुओं को अपनाइए,
जीवन खुशहाल हो उठेगा।
खाने पीने मे कभी भी संकोच न करे हो सके तो हमेशा
शाकाहारी भोजन गर्हण करे मांसाहारी खाने से परहेज करे,क्योकी
धार्मिक शास्त्र कहते है जैसा खाओ अन्न वैसा
बने मन । इसका वैज्ञानिक कारण भी है क्या...? आपको पता है जिस
पशु यानी मुर्गे ,बकरे ,चिकन , मटन का आप सेवन कर रहे है वह किस
बिमारी से ग्रसित था नाही ना ।दूसरा जब हम किसी को जीवन दे नही सकते तो किसी के जीवन
लेने का अधिकार हमे किसने दिया क्या...? सिर्फ जबान के स्वाद
के लिए किसी मुक प्राणी की जान लेना मानवता नही है ।
जिए और जीने दे , मदिरा पान,धूम्रपान ,तंबाकू ,गुटका,खैनी इन के दुष्परिणामों से आप भली –भांती परिचित
है,फिर भी उस ओर झुकाव ठीक नही । अपने अंदर वर्षों से जमा नकारात्मक
दृष्टिकोण, सोच, अहंकार, अहं को निकालकर सकारात्मक सोच को लाएं ।·किसी भी बात
में कोई पूर्वाग्रह, बहाने, रोड़े न अटकाएं।
पूर्वाग्रह का कूड़ा-करकट हटाकर ही सकारात्मक चिंतन का महल खड़ा हो सकता है। इसके लिए
रोज प्रेरणा दायक किताबे पड़े,गरीब लोगो की मदद के लिए हमेशा तत्पर
रहे ।समाज सेवा के किसी भी कार्य मे जितना हो सके समय देकर हमेशा अच्छा करे और अपने
सभी मित्रो, रिश्तेदारों
,सहकर्मियो को भी अपने इस काम के लिए उत्साहित करे ।
आपका मन आनद
से भर जाएगा जब आपका मन खुश होगा तो आपका स्वास्थ अपने आप ठीक हो जाएगा । व्यस्त रहें, मस्त रहें।
अकेलेपन या कोई काम न होने से भी मन में अवसाद आ जाता है और नकारात्मकता घर कर जाती
है। अतः खुशी लाने के लिए लोगों से मिलें-जुलें, एक-दूसरे को
सहयोग दें, विचारों को बांटे। धन बेकार बाटने से घटता है । ज्ञान
बाटने से और बड़ता है । लेकिन खुशिया बाटने से बड़ती ही नही वरण आपको सभी का चहेता और बड़ा भी बनाती है
।तो फिर ऐसी खुशियो से प्यार कर
लोगो मे खुशिया बांटे सेहत और इज्जत मुफ्त पाए । हसने का हुनर इंसान के पास है जानवरो
के पास नही इसलिए इसका अधिक से अधिक उपयोग करे अपने खुशियो का बँक बैलेंस बड़ाते चले
।
=+= श्री अनिल भवानी 
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