- Back to Home »
- Motivation / Positivity »
- गम क्या है........?
Posted by : achhiduniya
05 November 2014
“नानक दुखिया सब संसार"
मित्रो प्रणाम..... दुनिया मे कितना गम है,मेरा गम कितना कम है,लोगों का
गम देखकर मै अपना गम भुल गया.आज हम आपसे गम के बारे मे बात करना चाह्ते है.गम क्या है........? इस बात को हम इस प्रकार
समझने का प्रयास करते है.गम के कई प्रकार है,जैसे:-1:"चिईन गम"जिसे हम मुहँ मे चबाकर
मजे से समय बिताते है.2:"गल्यु-गम” जैसे गोंद
,फेविकाल फेविक्विक इत्यादि
जिससे हम कागज या अन्य किसी को चिपकाने के काम मे लाते है.पुरातन समय मे इसका
अधिक उपयोग होता था जो कि गोंद और गम के नाम से आज भी विख्यात है.
लेकिन मित्रो हम बात
कर रहे है गम यानी दुख की जो हमारी सोच का ही परिणाम है."नानक दुखिया सब संसार" {श्री गुरु ग्रंथ साहिब
}अर्थात इस संसार मे
सभी जीव दुखी है,चाहे वह राजा हो या रंक.लेकिन इसे{गम -दुख को} आप कितनी गम्ंभीरता
से लेते है यह उस सोच के आघार पर उतना छोटा और बडा जान पडता है.आज हम आपको कुछ छोटॆ
से उपाय बताकर आपके गम यानी दुख को कम करने का प्रयास करेगे.जब भी हमारे घर मे अचानक
मेहमानो का आगमन होता एक तरफ हमे अपार खुशी होती है,वही दुसरी तरफ इन मेहमानो के कारण हमारी निजता{प्रावेसी}पर भी असर पडता है,लेकिन
चाहकर भी हम उन्हें भगा नही सकते या वापस नही भेज सकते यह सोचकर कि एक दिन वे अपने
घर वापस चले जाऐगे.
आज भी हमारे देश मे मेहमानो{अतिथी} को भगवान के रुप मे देखा जाता है.उनकी सेवा करके जहाँ
हमे पुण्य कि प्राप्ती होती है,वही हमे भी जीवन मे कभी न कभी किसी के मेहमान बनने का सौभाग्य प्राप्त होता
है.यह एक मानविय समाजिक प्रक्रिया है,जिसे निभाना आव्श्यक है.उसी प्रकार गमो-दुखो को भी उसी ईश्वर
का रुप जानकर उसे शांत {मन}चित से निपटाने का प्रयास
करना चाहिए,जिस प्रकार मेहमान स्थाई नही होते.उसी प्रकार गम-दुख भी स्थाई नही होते,दिन और रात कि तरह.उस वक्त सिर्फ हमे अपने
नजरिए मे बदलाव लाने की जरुरत होती है.अपनी सोच को सकारात्मक रखने और आए हुए दुख के कारण
का पता लगाने कि आप देखेंगे कि गम-दुख के शुरुवात मे ही उससे छुटकारा पाने का राज छुपा
होता है.अगर स्कुल मे नियमित
जा रहा विधार्थी वक्त रह्ते पडाई करे तो उसे बाद मे फेल होने का दुख नही होगा.समय पर
मोबाईल चार्ज और रिचार्ज कर लिए जाए तो जरुरत पडने पर गम-दुख परेशानी नही होगी.बिमारी
से पहले सावधानी बरती जाए तो गम-दुख परेशानी नही होगी.
समय पर घर से निकला जाए तो आफिस
या कार्य स्थल पर लेट पहुचने का गम-दुख अफसोस नही होगा.इसी प्रकार पुर्व तैयारी द्वारा
आप आने वाले कई गमो-दुखो-तनावो के कारण होने वाले नुकसान को दुर कर सकते है,फिर भी जीवन मे कई बार
ऐसी परिस्थितिया आती है,जिसका सामना हम अपने अनुभवो द्वारा सकारात्मक विचार या किसी
मित्र अपने बडो से विचार विमर्श करके गमो और दुखो को दुर कर सकते है.ईश्वर,गुरु,गाँड,खुदा
जिस परभी आपकी आस्था हो उसे हमेशा याद रखे.माता-पिता,गुरुजन का हमेशा आदर करे.एक शेर
दस लोगों को मार सकता है लेकिन क्या....?आप जानते है एक आदमी दस शेरो को भी करतब करा
सकता है.सर्कस मे रिंग मास्टर कि तरह सिर्फ एक चाबुक के दम पर,दोस्तो आपकी ईच्छा शक्ती
ही वह चाबुक है,जिसका उपयोग करके आप बडे से बडी समस्या को पार कर सकते है.कोई भी समस्या
स्थाई नही होती,लेकिन अगर आप गम- दुख
को "गोंद" {फेविकाल }कि तरह अपने से चिपकार
रखना चाह्ते है,तो इसके लिए हम आपको हार्दिक शुभकामनाँओ के सिवा कुछ नही दे सकते.इसलिए
इस गम को{दुख} "चिईन गम"कि तरह ही इस्तेमाल
करे.
कोई भी समस्या दुख छोटी बडी नही होती उसे आपकी सोच आपके विचार,आपने उसे कितनी गम्ंभीरता
से लिआ इस बात पर निर्भर होती है. अगर आपको कोई गम {दुख } भी दे तो उसे खुशिया
देकर मन के आत्मिक सुख की प्राप्ती करे. आपके समय देने का शुक्रिया.......दोस्तो.
=+=श्री
अनिल भवानी