- Back to Home »
- Religion / Social »
- अपना ही अनर्थ.....
Posted by : achhiduniya
06 December 2014
गलती तो हमारी ही है.......
मित्रो प्रणाम ...... आज आप और हम बात करेगे
रोज मर्रा कि ज़िंदगी मे घटित होने वाली साधारण सी घटनाओ कि हमे अपनी कही हुई हर बात
का हमारे देश में अंतर्विरोध बहुत है। आमतौर पर लोग जो बोलते हैं,
उसे करते और निभाते नहीं। दुनिया की नजर में भारत की काफी इज्जत है,
लेकिन हम व्यवहार और रहन-सहन में काफी पीछे हैं । हम अपनी धर्म-संस्कृति
पर इतराते तो हैं, लेकिन इसकी बातों को अपने जीवन में उतारते
नहीं । उसे केवल उपदेश देने तक ही सीमित रखते हैं। यही कारण है कि हम जो दूसरों से
अपेक्षा करते हैं, उसे खुद करके दूसरों के लिए मिसाल नहीं पेश
करते ।
हर चीज जैसे बेईमानी ,रिशवरखोरी ,भ्रष्टाचार ,बेरोजगारी इन से छुटकारा पाना चाहते है लेकिन
पहल नही करना चाहते । अगर हम वाकई बदल रहे
हैं, तो हमें सचमुच में अपने जीवन में ईमानदारी और सात्विकता
लानी होगी । कई बार ऐसा होता है कि हम किसी बात से भीतर ही भीतर इतने व्यथित होते रहते
हैं कि अपने सामान्य आचार और व्यवहार पर भी नियंत्रण नहीं रख पाते। इसका परिणाम यह
होता है कि हम बात-बात में आक्रामक होने लगते हैं। उस समय हमें लगता है कि केवल हम
ही सही हैं और बाकी गलत इसलिए अगर दूसरा कोई
हमारे काम में गलतिया निकालता है, तो हम बिफर पड़ते हैं।
अपने और अपने काम को सही साबित करने के लिए हम कई तरह
के तर्क भी गढ़ लेते हैं। हालांकि समय बीतने के साथ हमें इस बात का एहसास होता है कि
गलती तो हमारी ही है। हम बिना मतलब आक्रामक होते है । यहां तक कि दूसरों को अपमानित
भी कर देते है । इस स्थिति में कभी-कभी तो प्रायश्चित करने का मौका मिल जाता है,
लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। जब तक हमें अपनी गलती का एहसास होता है,
तब तक काफी देर हो चुकी होती है। फिर यही लगता है कि हमने सिर्फ अपने
व्यवहार के कारण अपना ही अनर्थ कर लिया । रोजमर्रा की जिंदगी में हर इंसान के सामने
मुश्किलें आती-जाती रहती हैं। लेकिन ध्यान रखने की बात यह है कि कोई भी मुश्किल स्थायी
नहीं होती। अगर हम चाहें, तो हर परेशानी से निकलने का कोई न कोई
रास्ता होता है।
जो व्यक्ति मुश्किलों से घबराये बिना अपना कर्म करता हुआ उससे बाहर
निकलने का रास्ता तलाशता है, वह इनसे आसानी से पार पा जाता है
। जो इनसे घबराकर अपना संयम खो देता है, वह अपनी ही परेशानी बढ़ाता
है। जो व्यक्ति संयम के साथ मुश्किलों का मुकाबला करते हैं, वहीं
आगे बढ़ते और अपनी पहचान बनाते हैं। कहावत
है कि वृक्ष जितना बड़ा और फलदार होता है, वह उतना ही ज्यादा झुकता
जाता है।
इंसानी जिंदगी में भी इस कहावत को अक्सर दुहराया जाता है। इंसान भी अगर बड़ा
बनता है, उसका ज्ञान बढ़ता है, तो उसे वृक्ष
की तरह झुकना और विनम्र होना चाहिए। उसे अहंकार से बचना चाहिए। पद, पैसे, ताकत के कारण अगर आपके भीतर अहंकार का जन्म होता
है, तो यह आपको लोगों से दूर करता है। जिंदगी की छोटी-मोटी मुश्किलों
से घबराकर अपना संतुलन न खोएं। संयम के साथ
परेशानियों का हल ढूंढने का प्रयत्न करें । खुद को हमेशा इंप्रूव भी करते रहें,
ताकि वक्त के साथ आगे बढ़ सकें।
.jpg)
.jpg)

.jpg)
.jpg)