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Posted by : achhiduniya
12 January 2015
हनुमानजी
का जन्म......
मित्रो प्रणाम .......देवो के देव महादेव यानी
शंकर ,भोले बाबा इनके रुद्र अवतार श्री बजरंग बली ,हनुमान जी के जन्म अवतार की कथाओ का श्रवण करेंगे। हनुमानजी
का जन्म कैसे हुआ, इस विषय में भी भिन्न मत हैं। एक कथा के अनुसार महाराज दशरथ ने पुत्रेष्टि यज्ञ
से प्राप्त जो हवि अपनी रानियों में बांटी थी उसका एक भाग गरूड़ उठाकर ले गया और उसे
उस स्थान पर गिरा दिया, जहां अंजनि पुत्र प्राप्ति के लिए तपस्या
कर रही थीं। हवि खा लेने से अंजनि गर्भवती हो गईं और कालांतर में उन्होंने हनुमानजी
को जन्म दिया। एक अन्य कथा के अनुसार कपिराज केसरी अपनी पत्नी अंजना के साथ सुमेरु
पर्वत पर रहते थे।
अंजना के कोई संतान नहीं थी इसलिए उन्होंने पुत्र कामना हेतु वर्षों
तक तपस्या की। उनके कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें वरदान देकर कहा था
कि उनके एकादश रुद्रों में से एक अंश उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त होगा। शिवजी
ने उन्हें जाप करने का लिए एक मंत्र देकर कहा कि उन्हें पवन देवता के प्रसाद के एक
सर्वगुणसंपन्न पुत्र की प्राप्ति होगी। हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पूर्णिमा
के दिन हुआ था। हनुमान के जन्म स्थान के बारे में कुछ भी निश्चित नहीं है।
मध्यप्रदेश
के आदिवासियों का कहना है कि हनुमानजी का जन्म रांची जिले के गुमला परमंडल के ग्राम
अंजन में हुआ था। कर्नाटकवासियों की धारणा है कि हनुमानजी कर्नाटक में पैदा हुए थे।
कर्नाटक के पंपा और हम्पी में किष्किंधा के ध्वंसावशेष अब भी देखे जा सकते हैं। एक
मान्यता है कि एक बार जब मारुति ने अंजनि को वन में देखा तो वे उस पर मोहित हो गए।
उन्होंने अंजनि से संयोग किया और वे गर्भवती हो गईं। एक अन्य मान्यता है कि वायु ने
अंजनि के शरीर में कान के माध्यम से प्रवेश किया और वे गर्भवती हो गईं।
माना जाता है
कि जहां रामकथा होती है वहां हनुमान कथा सुनने पहुंचते हैं। कहा गया है एक बार राजदरबार
में श्रीराम ने हनुमान को अपने गले से मोती की माला उतार कर दी। हनुमान ने हर एक मोती
को दांत से काटकर देखा और पूरी माला तोड़ दी। श्रीराम ने पूछा इतनी सुंदर माला तुमने
दांत से काट-काटकर क्यों फेंक दी। हनुमान ने कहा कि प्रभु जिस वस्तु में आप नहीं वह
मेरे किस काम की।
तब श्रीराम ने पूछा, तुम्हारे हृदय में श्रीराम
का निवास है? हनुमान ने हृदय चीरकर दिखाया कि वहां राम,
लक्ष्मण और सीता विद्यमान है। हनुमान को राम नाम प्रिय है। जहां भी रामकथा
होती है वहां वे कथा श्रवण को आते हैं।
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| जय बजरंग बली |
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