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- डर के आगे जीत है.....
Posted by : achhiduniya
03 January 2015
निर्भय व्यक्ति अपने
आप मे वन मैन आर्मी....जो डर की...पूरी
फौज...?
मित्रो प्रणाम ....आप
तो जानते ही है की बिना किसी कार्य को किए
आपकी ना कोई इज्जत करता है ना आपको किसी प्रकार का मान–सम्मान मिलता है। लेकिन
आपको करना क्या ...?इसी के पशो–पेश मे आप या तो गलतिया करते है या उस काम को
करने से पहले ही हार मान लेते है या आप डरे डरे से रहते है। आपको उसी डर को
निकालना होगा हमें न सिर्फ खुद को भयमुक्त करना होगा, बल्कि
दूसरों को भी अभय और निडर बनाना होगा।
दूसरों को अभय दान देने के लिए पहले स्वयं
को भयमुक्त करना होगा क्योंकि जो व्यक्ति स्वयं भयभीत रहता है,वह दूसरों को
अभयदान कैसे...? दे सकता है। वह कैसे...? दूसरों की
रक्षा कर सकता है। जो खुद फटेहाल डरपोक होता है। वह दूसरों को क्या...? देगा दूसरों को
निर्भय बनाने की बात कहने वाला अगर खुद डरपोक हो, तो
उसका क्या परिणाम निकलेगा, यह तो आप स्पष्ट रूप से जानते ही है। भय मुक्त जीवन जीना भी
एक कला से कम नही होता जिसका आसान तरीका ये है की आप दूसरों की मदद करने के लिए
हमेशा तत्पर रहे जिससे आपको हौसला मिलेगा ।
भयमुक्त होना एक प्रकार की साधना है। खुद
को भयमुक्त करने के लिए आपको हमेशा अभ्यास करना होगा। इसके लिए पहले दिन से अभय होने
का प्रयास करना होता है, एक रात में अभय बनने का प्रयास करना पड़ेगा । इसे इस तरह समझ
सकते हैं कि पहले हम दिन में किसी मकान में अकेले रहें या किसी भी कार्य को आप
अकेले करने का प्रयास करे, फिर रात को उस मकान के बरामदे में रहें। इसके बाद अंदर
कमरों में अकेले रहें और फिर शमशान में जाकर दिन मे धूमते रहें,फिर उसी शमशान मे रात मे रहे । जो
व्यक्ति अंधेरा घिरते ही डरने लगता हो, वह दूसरों को कैसे....? भयमुक्ति की रोशनी
दे सकता है।यह जरूरी नही की आप इसे करे पहले आप उन लोगो से मिले जो पूरी तरह
सकारात्म विचार रखते है क्योकि भय और डर हमेशा नकारात्म लोगो पर ज्यादा प्रभाव
डालता है।
यह बात भी याद रखनी चाहिए कि जो व्यक्ति जितना भयभीत होता है, वह
उतना ही हिंसक हो जाता है। ऐसा व्यक्ति बहुत खतरनाक होता है। वह किसी की हत्या करे
या नहीं, सबसे पहले स्वयं की हत्या कर लेता है। जो अभय,निडर बनेगा वह
किसी के प्रति बैर-विरोध का व्यवहार नहीं कर पाएगा, बल्कि वह औरों
की मदद के लिए भी आगे आएगा । डर से मुक्त,निर्भय व्यक्ति अपने आप मे वन मैन आर्मी की तरह होता है जो डर की पूरी फौज
को मात दे सकता है। न तो किसी अन्य के प्रति, न
स्वयं के प्रति। ऐसा व्यक्ति न किसी को सताता है और न किसी को मारता है। उसके
दिमाग में वैर-विरोध का भाव पैदा नहीं हो सकता। वह व्यक्ति भय और वैर से मुक्त
होकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है।
आपको चाहिए की आप उन चीजों को ,उन कामो को पहले
करने की कोशिश करे जिससे आपको डर लगता है। क्योकि कुछ किए बिना ही आपको आपकी मंजिल
नही मिल सकती मंजिल को पाने के लिए आपको अपने आप पर विश्वास करना होगा और दूसरों मे भी विश्वास
जगाना होगा ।अपनी सोचने की शक्ती से सिर्फ और सिर्फ सकारात्म को जन्म देना होगा
जिससे आप डर,भय को अपने और दूसरों के जीवन से कोसो दूर भगा सकते है।
आप
को कोई नही मार सकता क्योकि आत्मा अजर –अमर होती है और जिस शक्ति के इजाज्त के
बिना पत्ता भी पेड़ से नही टूटता उस शक्ति के बिना आपको क्या.....? कोई नुकसान
पहुचा या मार सकता है तो फिर बेवजह का डर कैसा .....? इसलिए मित्रो
जो भी कार्य करे पूरे आत्मविश्वास व प्रक्रती की शक्ति पर भरोसा रख कर करे डर आपका
आत्मविश्वास देख कर आपसे कोसो दूर भागता जाएगा ।
क्योकि डर के आगे जीत है।
आपका मित्र अनिल भवानी ।
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Zhaaakaas
ReplyDeleteThankyou so much
Deleteशानदार
ReplyDeleteशानदार
ReplyDeleteदिल से शुक्रिया.....
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