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- हुनर बादशाह...?
Posted by : achhiduniya
08 January 2015
निकाल फेंके........आपको कुछ नहीं....
मित्रो
प्रणाम....हर व्यक्ति मे कुछ न कुछ हुनर होता है जैसे किसी को ज्यादा बाते करने,बातों को बड़ा चड़ा के बताने,किसी को शांत रहने,किसी को सोच विचार करके बोलने,किसी को मदद करने,किसी काम को अपनी समझबुझ से करने,बड़ी से बड़ी समस्या का
हल आसानी से निकालने का हुनर,किसी चीज को बनाने{रिपेरींग}का हुनर,किसी को गाने{सिंगिंग},नाचनें {डांस} का किसी को दूसरों को बेवकूफ बनाने का हुनर होता है।
इसके अलावा भी कई किस्म
का हुनर हो सकता है जरूरत है उसे पहचान कर सही दिशा देने की,आज
के समय में सामने आ रही संभावनाओं को पहचानने और अवसर का लाभ उठाने के लिए सबसे जरूरी
अपने हुनर को पहचानना है।खुद को कमतर समझने की बजाय अपने हुनर को जानकर उसे तराशें,
तभी आप बदलते वक्त के साथ आगे बढ़ सकेंगे।अनुभव न होने के कारण कोई काम
या नौकरी नहीं मिल रही या फिर मैं एग्जाम में नंबर तो ज्यादा लाना चाहता हूं,
पर पढ़ाई के लिए ज्यादा टाइम नहीं दे पाता या मन ही नहीं लगता।यह भी
कि कोर्स पूरा किए एक साल हो गया,लेकिन अभी तक कोई जॉब नहीं मिली।
मनोवैज्ञानिक
नजरिए से विचार करें या फिर ऐसे लोगों के मन में झांकने का प्रयास करें तो यही लगता
है कि ऐसे लोग बेशक अपनी नजरों में खुद को कमजोर पा रहे हों,उनके
भीतर कहीं न कहीं अपनी पहचान बनाने की बेचैनी नजर आती है। अगर ऐसा नहीं होता,
तो शायद वे ज्यादा नंबर या अच्छी नौकरी पाने के लिए बेचैन नहीं होते।
इनमें से अधिकतर के सपने इसलिए पूरे नहीं हो पाते, क्योंकि ज्यादातर
को अपने भीतर छिपे हुनर का पता ही नहीं होता।यही कारण है कि वे अपनी अंतर्निहित प्रतिभा
का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।बुरे से बुरा व्यक्ति भी अपनी आलोचना शायद ही बर्दाश्त
कर पाता है। इसका मतलब यह है कि हर किसी के भीतर जो स्वाभिमान होता है,वही उनमें अपनी पहचान की इच्छा जगाता है।
अगर आप किसी परीक्षा में अच्छे अंक
या अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं,तो इसका अर्थ यही है कि आपके मन
में कहीं न कहीं प्रतिस्पर्धा का भी भाव है। जिस समाज में आप रह रहे हैं, उसमें दूसरों की व्यंग्यात्मक नजरों का सामना करने में आपको कहीं न कहीं तकलीफ
होती है। आप इस स्थिति से उबरना तो चाहते हैं,पर आलस्य की आदत
या किसी दूसरी कमजोरी के कारण ऐसा नहीं कर पाते। यह स्थिति अधिक समय तक जारी रहने पर
व्यक्ति प्राय: निराशा के अंधकार में डूबने लगता है।आप आगे निकलना चाहते हैं,
घर-परिवार-समाज और इष्ट-मित्रों में अलग पहचान बनाना चाहते हैं,
तो आपको सबसे पहले अपने भीतर छिपे हुनर को खोज निकालना होगा। याद रखें,
इस संसार में कोई भी इंसान ऐसा नहीं है, जिसके
भीतर कोई न कोई गुण न हो। इसलिए यह हीन भावना अपने भीतर से निकाल फेंके कि आपको कुछ
नहीं आता या आप पूरी तरह से नकारा हैं।
दूसरों के बुरा-भला कहने की परवाह करने की बजाय
इस बात की परवाह और चिंतन करें कि आखिर वे आपको ऐसा क्यों....?कहते-समझते हैं। आखिर आपकी वह कौन-सी
खराबी है,जो उन्हें रास नहीं आती।खुद को नाकाम या असफल समझने
की बजाय अपनी खूबियों को जानें और उन्हें तराशें।आत्मविश्वास ऊँचा रखें,ताकि किसी भी काम को उत्साह के साथ कर सकें।पढ़ाई और नौकरी के साथ-साथ अपनी
स्किल,कार्य क्षमता को वक्त के हिसाब से अपडेट करते रहें,
ताकि समय के साथ-साथ चलते हुए अपनी उपयोगिता साबित कर सकें।दूसरे आपको
क्या कहते और समझते हैं,इसकी परवाह न करें।हां, जिस दिन आपकी अंतरात्मा आप पर सवाल उठाने लगे,समझ लें
कि आपके जागने का समय आ गया है। समय गंवाए बिना,अपनी कमजोरियों
की तलाश शुरू कर दें।चाहे इसके लिए अपने मित्रो,सहयोगियो का साथ
भी लेना पड़े तो पीछे न हटे।
उत्साह होने पर कोई भी काम मुश्किल नहीं लगेगा। इसके साथ
अपने आत्मविश्वास को कभी कम न होने दें।किसी भी लक्ष्य को सकारात्मक नजरिए से देखें।इस
बात का विश्लेषण करें कि आखिर वे कौन-से कारण हैं, जिनकी वजह
से असफलता मिलती रही है या फिर आप मनोवांछित परिणाम नहीं हासिल कर पा रहे।इसके बाद
एक-एक करके इन कमजोरियों को दूर भगाने की कोशिश करें।आप अपने हुनर से अपनी आजीविका
चला सकते है। आप दूसरों को तो धोखा दे सकते हैं,लेकिन अपने आपको
कतई नहीं।इसलिए कमजोरियों को दूर करने के बाद समुचित रणनीति के साथ अपनी मंजिल की दिशा
में ईमानदारी से कदम बढ़ाएं।
आलस्य से दूर रहें। मन में बिठा लें कि किसी भी तरह से
लक्ष्य हासिल करना है, चाहे इसके लिए कितनी भी मेहनत क्यों न
करनी पड़े। आप जो भी कोर्स कर रहे हैं या सब्जेक्ट पढ़ रहे हैं, अगर उसमें आपका मन नहीं लग रहा तो समय रहते उसे बदल लें। अगर काफी आगे निकल
चुके हैं, जहां से वापस लौटना संभव नहीं, तो इस बात पर विचार करें कि कैसे उसी में मन लगा सकते हैं ताकि बेहतर परिणाम
हासिल कर सकें।
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| GOOD LUCK |
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