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- इसको ही सुहागरात कहते हैं…..?
Posted by : achhiduniya
26 February 2015
शारीरिक
न होकर मानसिक और आत्मिक होता है……
सुहागरात है घूँघट उठा रहा हु मै ....सिमट रही है तू शर्मा के अपनी बांहों
मे....सुहागरात नव जीवन की वह शुरुवात
है जिसे बहुत ही समझदारी व सब्र के साथ आरंभ करने से जीवन सुखी या दुखी हो सकता है।
विवाह
के दिन नजदीक आते ही कुछ युवा स्त्री-पुरुष परेशान होने लगते हैं। विवाह के बाद जब दुल्हन को अपने घर लाते हैं तो वह उस समय अपने घर
परिवार को छोड़कर आती है और पति के घर पर उसके लिए सभी व्यक्ति अपरिचित होते हैं
इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि वह पहली रात पति के अलावा किसी को भी ठीक तरह से
नहीं समझ पाती।
लेकिन यह भी सच है कि उस रात पति-पत्नी भी एक-दूसरे के लिए अपरिचित
ही होते हैं फिर भी दुल्हन पति को इसलिए अपना समझती है क्योंकि उसके संग उसका
विवाह हुआ है। सेक्स से सम्बन्धित किताबों
को कोई भी पुरुष या स्त्री पढ़ते हैं तो उनका भी शरीर गुदगुदाने लगता है। कुछ युवक
तो ऐसे होते हैं जिनको किताब पढ़ने के बाद मन में यह ख्याल आता है कि सुहागरात
क्या…? होता है इस दिन क्या….? करना चाहिए। कैसे….? करना चाहिए। ऐसी किताबें पढ़ने से शरीर
में कामवासना की उत्तेजना भी बढ़ने लगती है। इस प्रकार की किताबें पढ़कर
स्त्री-पुरुष के मन में भविष्य के रंगीन सपने आने लगते हैं, इन सपनों में सुहागरात का भी सपना जुड़ा होता है।
जब उन्हें पहली बार एक दूसरे के करीब आने का मौका मिलता है
तो वे एक-दूसरे को न केवल समझ परख लेते हैं, बल्कि एक-दूसरे के प्रति
मन से समर्पित भी हो जाते हैं। हमारे देश में दुल्हा-दुल्हन की पहली रात के मिलन
को अधिकतर एकांत में करवाया जाता है, इसको
ही सुहागरात कहते हैं। बहुत से पुरुष तो अपने मन में यह सोचते हैं कि सुहागरात को
मैं अपनी पत्नी को संतुष्ट कर पाऊँगा या नहीं, मैं
अपनी पत्नी को अच्छा लगूंगा या नहीं, क्या….? वह मुझे पूरी तरह से अपना पायेगी या नहीं, वे यह भी सोचकर परेशान होते हैं कि यदि मैं सुहागरात को
अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाया तो….? उसे जिंदगी भर पत्नी के
ताने सुनने पड़ सकते हैं।
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यदि इस रात को मेरे लिंग में उत्थान नहीं आया या मैं
जल्दी ही स्खलित हो गया तो पत्नी से सिर उठाकर बात नहीं कर पाऊँगा। वह यह भी
सोच-सोचकर भयभीत रहता है कि यदि पत्नी इस कारण से मुझे छोड़कर चली गई तो मैं घर वालों
तथा समाज के सामने क्या मुँह दिखाऊँगा। इस प्रकार के लक्षण सिर्फ अनपढ़ों में ही
नहीं, पढ़े-लिखे पुरुषों में भी
दिखाई देते हैं। इस रात को लेकर केवल पुरुष ही नहीं परेशान रहते बल्कि स्त्री भी
इससे भयभीत रहती है। पति-पत्नी की यह पहली रात
उनके वैवाहित जीवन के भविष्य का निर्णय कर देता है।
सुहागरात में पति-पत्नी का यह
पहला मिलन उतना शारीरिक न होकर मानसिक और आत्मिक होता है। इस अवसर पर दो अनजान
व्यक्तियों के शरीरों का ही नहीं बल्कि आत्माओं भी मिलन होता है। जो दो आत्माएँ अब
तक अलग थीं, इस रात को पहली बार एक हो
जाती हैं। सुहागरात स्त्री-पुरुष के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। यह
वह रात है जब कोई अपने वैवाहिक जीवन की सुन्दर इमारत खड़ी कर सकता है या अपनी
नादानी से वैवाहिक जीवन को सदा के लिए नष्ट कर सकता है। यह बात उस स्थिति में पूरी
तरह से सही बैठती है, जहाँ पर स्त्री को सम्भोग
क्रिया के बारे में बिल्कुल अनुभव नहीं होता है।
बहुत से वृद्ध व्यक्तियों के भी
दिल में एक मीठी गुदगुदी होने लगती है। पुरानी यादें एकदम से ताजी हो जाती हैं। मन
में एक रोमांच सा लगने लगता है। सुहागरात
में पुरुष को चाहिए कि वह इस बात को गांठ मार कर गुरुमंत्र की तरह याद रखें कि
शादी की रात कभी भी महत्वहीन नहीं होती, छोटी
से छोटी बात सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित कर सकती है। शादी की रात को पुरुष किस
प्रकार व्यवहार करे, यह अधिकार उसी के निर्णय पर
छोड़ देना चाहिए क्योंकि प्रत्येक दूल्हे-दुल्हन के लिए इस अवसर की परिस्थितियाँ
भिन्न-भिन्न होती हैं। सुहागरात से पहले पुरुषों
के मन में भी कई प्रकार की बातें चलती रहती हैं,लेकिन
उसके मन में स्त्री की अपेक्षा कुछ कम संकोच तथा भावनाएँ होती हैं क्योंकि उसके
लिए सभी परिवार वाले जाने पहचाने होते हैं जबकि स्त्री सभी से अनजान होती है।
बहुत से पुरुष तो यह भी सोचते हैं कि हमारे द्वारा की गई
सेक्स क्रिया से हमें शारीरिक संतुष्टि तो हो जाती है, इसलिए स्त्री को भी अवश्य ही संतुष्टि मिल जाती होगी। इस
प्रकार के विचार बिल्कुल गलत होते हैं, क्योंकि
बहुत से पुरुष सेक्स के मामले में अज्ञानी होते हैं, जिसका
परिणाम यह होता है कि वे इस रात को अपनी पत्नी को सम्भोग करने के लिए पूरी तरह से
तैयार नहीं कर पाते हैं। जब स्त्री में स्वयं को आनन्द देने वाला उन्माद नहीं
उत्पन्न होता तब तक वह सेक्स के लिए तैयार नहीं हो सकती।
उसमें सेक्स उत्तेजना
जगाने के लिए पुरुष फॉरप्ले की क्रिया उसके साथ कर सकता है। बहुत से पुरुष तो यह
सोचते हैं कि यदि स्त्री सेक्स की दृष्टि से ठंडी तथा स्वभाव से ही उत्साहीन है, उसमें पुरुष के प्रति प्रेम का अभाव है तो वह उसमें उत्तेजना
उत्पन्न नहीं हो सकती है। कुछ मूर्ख पति तो यह भी कल्पना कर लेते हैं कि विवाह से
पहले इसका किसी के साथ सम्बन्ध बन चुका है तभी यह मुझसे सम्भोग क्रिया ठीक से नहीं
कर पा रही है। ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि जब आप ही उन्हें ठीक प्रकार से
सेक्स करने के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं तो उसमें उनका क्या दोष। बहुत से पुरुष अपनी सेक्स अज्ञानता के कारण से सुहागरात
में जब वह बलपूर्वक वैवाहिक अधिकार प्राप्त करना चाहता है तो स्त्री उसके इस
व्यवहार से मन ही मन दुःखी हो जाती है, बल्कि
सम्भोग करते हुए भी सम्भोग का वास्तविक आनन्द नहीं उठा पाती। सुहागरात में सभी स्त्रियों
में लज्जा की भावाना अधिक होती है। जिस कारण सेक्स क्रिया की बात तो दूर की बात है, आलिंगन, चुम्बन तथा स्तन आदि के स्पर्श
में भी वह बाधक बनकर खड़ी हो जाती है।
जब सुहागरात के दिन दुल्हन कमरे में बैठी
होती है उस समय जब दूल्हे को कमरे में भेजकर भाभियाँ बाहर से कुंडी लगा देती हैं
तो दूल्हे को चाहिए कि कुंडी खुलवाने के लिए थोड़ा सा निवेदन करने के बाद स्वयं
अंदर से दरवाजे का कुंडी अंदर से लगा दें। अब दूल्हे को चाहिए कि वह अपने सुहाग सेज
की तरफ आगे बढ़े। इसके बाद दुल्हन का कर्तव्य बनता है कि वह अपने पति का अभिवादन
करने के लिए सेज से उतरने की कोशिश करे। इसके बाद दूल्हे को चाहिए कि वह अपनी
पत्नी को बैठे रहने के लिए सहमति दें तथा इसके साथ ही थोड़े से फासले पर बैठ जाए। आप
स्त्री हो या पुरुष सुहागरात की पहली मुलाकात के समय एकांत कमरे में एक-दूसरे के
सामने प्रस्तुत होते समय परेशानी होती है।
इस समय में दुल्हा-दुल्हन को क्या करना
होता है, इसके लिए उन्हें इसके बारे
में अच्छी तरह से जानकारी ले लेना चाहिए ताकि अपने को एक-दूसरे के सामने प्रस्तुत
होने पर परेशानी न हो। पुरुष को ध्यान रखना चाहिए कि सुहागरात के दौरान जब तक
स्त्री सेक्स क्रिया के लिए तैयार और सहमत न हो तो सम्भोग क्रिया सम्पन्न नहीं
होती और यदि होती भी हो तो सेक्स क्रिया का आनन्द एक तरफा होता है। इसलिए पुरुष
पहले स्त्री के साथ फॉरप्ले ,पूर्व-क्रीड़ा करे ताकि वह
सेक्स के लिए तैयार हो जाए, तभी आपका मिलन ठीक प्रकार
से हो सकता है। इस रात में जब तक स्त्री के तरफ से आज्ञा न मिल जाए तब तक
जबर्दस्ती सेक्स सम्बन्ध बनाने की कोशिश न करें।
यदि स्त्री किसी कारण, भय, लज्जा या मानसिक रूप से
सेक्स क्रिया करने के लिए तैयार न हो तो आप अपने पर काबू रखें, उसे इसके लिए मजबूर न करें। किसी भी दूसरे पुरुष या दोस्त आदि के बहकावे में आकर शराब, कोकीन, चरस, अफीम या नशीले पदार्थों का सेवन न करें क्योंकि इससे सेक्स
शक्ति कभी नहीं बढ़ती।
बल्कि नशे की स्थिति में आप तो सेक्स क्रिया का आनन्द ठीक
प्रकार से नहीं ले पाएंगे और अपनी पत्नी को भी इसका आनन्द नहीं मिल पाएगा। पहली रात को कभी भी पत्नी को निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर
न करें और न ही उसका चीर-हरण करें। पहली रात को पत्नी की भावनाओं से खेलकर उसके
अतीत के बारे में जानने की कोशिश न करें।
सभी स्त्रियाँ अपनी प्रशंसा सुनना बहुत
अधिक पसन्द करती हैं, विशेष करके खूबसूरती की
तारीफ उसे बहुत पसन्द होती है। इसलिए उसकी खूबसूरती की प्रंशसा करें। वह जल्द ही
खुद को आपके हवाले कर देगी।