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- चिता से भी बड़ी चिंता की अग्नि .......
Posted by : achhiduniya
05 March 2015
चिंतित स्वभाव को एक
तरफ रख दें वरना.....
मनुष्य को ईश्वर ने
इतनी बुद्धी दी है की वह सही और गलत का फैसला कर सके लेकिन कभी –कभी लोगो के
बहकावे मे आकार वह वास्तविकता से इतनी दूर चला जाता है, जिस कारण सिर्फ
चिंता ही उसकी साथी बन जाती है। जो लोग ज्यादा
चिंता करते हैं उनके दिमाग को ज्यादा काम करना पड़ता है क्योंकि तब मस्तिष्क भविष्य
की हर घटना को आशंका की नजर से देखता है और उसके परिणामों का आकलन ही करता रहता
है। ऐसे किसी भी व्यक्ति की रचनात्मक ऊर्जा चिंता में ही खत्म हो जाती है।
जबकि वे
लोग जो सकारात्मक तरीके से चिंताओं का सामना करते हैं उन्हें लगातार सोचना नहीं
पड़ता और वे अपनी उर्जा बचाकर उन्हें दूसरे रचनात्मक कामों में लगा पाते हैं। इस
तरह वे ज्यादा बेहतर तरीके से अपने काम को अंजाम भी दे पाते हैं। अगर आपके काम में
लगातार गड़बड़ियां हो रही हैं और आप एकाग्र नहीं हो पा रहे हैं तो तलाशें कि आपकी
चिंता की वजह क्या.....? है और उसे हल करें। जब लोग चिंतित होते हैं तो वे जो भी
विचार करते हैं उसके सही न होने की पूरी आशंका बनी रहती है, क्योंकि चिंतित
व्यक्ति में अपनी चीजों को सही साबित करने का आत्मविश्वास नहीं होता है।
जो चिंता
से दूर रहते हैं वे कठिन से कठिन परिस्थिति में भी अपने लिए संभावना की तलाश कर
पाते हैं जबकि चिंता से घिर जाने वाले सिर्फ नकारात्मक स्थिति के बारे में ही
सोचते हैं और आशंकित होकर उस स्थिति में श्रेष्ठ प्रयास की योग्यता भी खो बैठते
हैं। चिंता मुक्त व्यक्ति नकारात्मक स्थिति में भी सकारात्मक संभावना के बारे में
सोच पाता है।
हालांकि यह भी है कि जो लोग चिंता करते हैं वे किसी मुश्किल
परिस्थिति में काम करने के आदी होते हैं और उस तनाव भरी स्थिति में बढ़िया प्रदर्शन
कर पाते हैं जबकि चिंता से दूर रहने वाले लोगों में यह आत्मविश्वास होता है कि
परिस्थिति चाहे जो हो वे हर स्थिति को बेहतर तरीके से देखें कि क्या....? भविष्य आपको
ज्यादा भयभीत कर रहा है और आप डरकर वर्तमान में काम नहीं कर पा रहे हैं। ऐसा है तो
उसे बदलें। आप तय करें कि आप किस स्थिति में रहना चाहते हैं। आज के बारे में ही
सोचें,अगर आप अपने निर्णयों का बचाव नहीं कर पाते हैं, तो सोचें कि
आपका आत्मविश्वास आप कैसे बनाए रख सकते हैं।
नई संभावनाओं की तलाश करते हुए अपने
चिंतित स्वभाव को एक तरफ रख दें वरना आप ज्यादा ऊंची उड़ान नहीं भर पाएंगे। अगर आप
अपने काम का आनंद नहीं ले पा रहे हैं और वह बोझ की तरह है तो स्थितियों को बदलने
का प्रयास करें। जीवन के प्रति जिस व्यक्ति की उत्सुकता बनी हुई है वही जीवन को
उसके पूरेपन में जीता है। जब आप अपने दिन को नीरस होकर देखने लगते हैं तो उसमें
कुछ भी जोड़ नहीं पाते। हर किसी के लिए अपनी प्राथमिकताएं अलग होती हैं और उसी के
अनुरूप व्यक्ति अपने जीवन का प्रबंधन करता है लेकिन उसे इन प्राथमिकताओं को
पहचानने की जरूरत होती है।
जिस काम में मजा नहीं आता वह नहीं करना चाहिए । इससे भी
बड़ी बात की कभी भी भविष्य को लेकर चिंता न करे अपने अच्छे प्रयासो को जारी रखे।
राह चलते हुए भी कई ब्रेकर ,गड्डे आते है, इसी तरह जीवन मे भी उतार चड़ाव आते है जिसे चिंता से नही
चिंतन से दूर कर सकते है।