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- हिन्दू-सिन्धु नव वर्ष का प्रतीक गुड़ी पड़वा - चेट्रीचंद्र
Posted by : achhiduniya
20 March 2015
बांस में
नई साड़ी पहना कर उस पर......
सारे विश्व मे भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहा
हर त्योहार को पूरी श्रद्धा,उमंग उत्साह और भाई चारे
के साथ मनाया जाता है चाहे ईद हो,क्रिसमस हो,गुरु नानक जयंती हो चाहे दिवाली,नवरात्र या राम नवमी
सभी मिल कर मनाते है। चैत्र माह से हिन्दुओं और सिन्धी समाज का नववर्ष आरंभ होता
है। सूर्योपासना के साथ आरोग्य, समृद्धि और पवित्र आचरण की
कामना की जाती है।
महाराष्ट्रीयन परिवारों में चैत्र माह की प्रतिपदा को ही नववर्ष
की शुरुआत होना माना जाता है। इस दिन बांस में नई साड़ी पहना कर उस पर तांबे या
पीतल के लोटे को रखकर गुड़ी बनाई जाती है और उसकी पूजा की जाती है। गुड़ी को घरों के
बाहर लगाया जाता है और सुख संपन्नता की कामना की जाती है। गुड़ी पाड़वा- चेट्रीचंद्र
हिन्दू-सिन्धु को नव वर्ष के रूप में भारत भर में मनाया जाता है। इस दिन सूर्य,
नीम की पत्तियां, अर्घ्य, पूरनपोली, श्रीखंड और ध्वजा पूजन का विशेष महत्व
होता है।
इस दिन घर-घर में विजय के प्रतीक स्वरूप गुड़ी सजाई जाती है। उसे नवीन
वस्त्राभूषण पहनाकर शक्कर से बनी आकृतियों की माला पहनाई जाती है। पूरनपोली और
श्रीखंड का नैवेद्य चढ़ा कर नवदुर्गा, श्रीरामचन्द्र जी एवं
राम भक्त हनुमान की विशेष आराधना की जाती है। इस दिन सुंदरकांड, रामरक्षास्तोत्र और देवी भगवती के मंत्र जाप का खास महत्व है।
हर शहर के विभिन
मंडलो दवारा नगर मे चेट्री-चंद्र के त्योहार के दिन शोभा यात्रा और स्कूटर रैली निकाल
कर एकता और भाईचारे का संदेश दिया जाता है।
गुड़ी पाड़वा- चेट्रीचंद्र के आयोजन को बड़ी
धूम-धाम से मनाया जाता है।