- Back to Home »
- Motivation / Positivity »
- समस्या नही समाधान के बारे मे सोचा करे.......जरूर सफल होंगे
Posted by : achhiduniya
23 April 2015
ज़िंदगी कैसी है..? पहेली हाय कभी तो
हँसाए...कभी ये रुलाए.....
जब भी जीवन
में हताशा से सामना हो तो अपने मित्रों के साथ
समय बिताएं। ऐसे समय जबकि आप हताशा महूसस
कर रहे हैं
तब खुद को दुनिया से अलग-थलग न कर लें क्योंकि इस तरह
आप अपने ही विचारों
में कैद हो जाते हैं। अक्सर हम परिवार के
साथ बहुत सी बातें साझा नहीं कर पाते हैं
क्योंकि उम्र और समझ
का अंतर बीच में होता है लेकिन हमारे मित्र हमारी मनोस्थिति
और हमारे बर्ताव को बेहतर तरीके से समझते हैं। वे हमारी
जरूरतों से परिचित होते हैं और
इसलिए उनके सामने अपनी पीड़ा
कहने में किसी तरह की झिझक नहीं होना चाहिए। वे ठीक
समाधान
तलाशने में हमारी मदद करते हैं। एक अच्छा दोस्त
विकट परिस्थितियों में हमारा सबसे बेहतर
मार्गदर्शक होता है।जब
भी आप कमजोर क्षणों से गुजरें तो उन चीजों से जुड़ें जो आपको
खुशी देती हों। आपका आनंद चाहे जो हो उसमें डूबने की कोशिश
करें।अगर आप
बुरा महसूस कर रहे हैं या फिर बोरियत हो रही है
या खुद को अवसाद की स्थिति में पा रहे
हैं तो समझिए कि
आपका मन नकारात्मक विचारों से भरा है। आप पूरे मन से
लक्ष्यों की तरफ
अग्रसर नहीं हैं। संभवत: इस समय आप उन
चीजों के बारे में सोच रहे हैं जिन्हें आप पसंद
नहीं करते हैं या
आप जिस राह पर हैं वह आपके मन से मेल नहीं खाती है।अपने
लक्ष्यों
की ओर कदम दर कदम बढ़ते हुए रोजमर्रा के जीवन में
खुद को यह बात याद दिलाने की जरूरत
है कि आगे बढ़ते हुए
अगर आप दूसरों की मदद करने या उनके प्रति आभार व्यक्त
करने का
भाव महसूस करते हैं तो अपने जीवन में इस
सकारात्मक बदलाव को आने दीजिए। दूसरों के प्रति
कुछ करने
का भाव आपके जीवन में परिवर्तन लाएगा और आपको अधिक
बेहतर इंसान भी बनाएगा।
जब आप दूसरों को महत्व देते हैं तो
आपके भीतर सकारात्मक बदलाव होते हैं।अगर आपके
मित्र
नकारात्मक लहजे में बात कर रहे हैं या फिर उनके मन में आगे
बढ़ने को लेकर बहुत
सारे संशय और दुविधाएं हैं तो उनसे दूरी
बनाना जरूरी है ताकि आप स्पष्टता के साथ अपने
लक्ष्यों की
ओर बढ़ सकें। आप अपनी भावनाओं को समझ पाते हैं तो उनके
अनुरूप अपनी गतिविधियों
में भी परिवर्तन लाएं। याद रहे कि
प्रसन्नता की स्थिति कोई भी आपको नहीं देगा बल्कि
वह तो
आपको स्वयं ही हासिल करनी होगी।
यह प्रसन्नाता आपको अपने कार्यों से ही मिलेगी।
हम रोज अपनी
रुचि के विषयों के बारे में थोड़ा-बहुत भी पढ़ते हैं तो हम रोज
कुछ कदम
आगे की ओर बढ़ते हैं। खुद को रोज थोड़ा मांजते
जाना हमें हमेशा लक्ष्य के लिए तैयार बनाएगा।
आपका मित्र
अनिल भवानी ।