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- सकारात्मक सोच से सवारे जीवन.........
Posted by : achhiduniya
02 May 2015
आपको कही जाने की जरूरत
नही सिर्फ अपने आप मे
झाँके........
“तू
क्या....? लेकर
आया था
क्या लेकर
जाएगा”......? “जो
आज तेरा
है वह
कल किसी
और का
था,परसो
किसी और
का होगा”। “जो
हुआ अच्छा
हुआ जो
हो रहा
है अच्छा
हो रहा
है और
जो होगा
वो भी
अच्छा
ही होगा”।
परिवर्तन
संसार
का नियम
है,बेशक
ये वचन
श्री कृष्ण
जी ने
अर्जुन
से कहे
लेकिन
आज भी
ये वाक्य
जन मानस
के लिए
उतने ही
उपयोगी
है जितने
वे द्वापर
युग मे
थे। बिती
ताई बिसारिय दे
आगे कि
सुध लेय।
इस बात
को हमेशा
ध्यान में
रखें।
इस बात
को सोचने
से मानसिक
रूप से
तनाव नहीं
होगा और
आप परेशान
भी नहीं
होगे। इंसान
के जीवन
में जो
कुछ बुरा
घटता है
वह हमेशा
[भूतकाल की] उन्ही
बातों
को लेकर
हमेशा
परेशान
रहता है।
कुछ लोग
तो अपने
भविष्य
को लेकर
भी परेशान
होते हैं।
बेवजह
ही गलत
सोचने
लगते हैं।
जिससे
उनकी सेहत
और उम्र
दोनों
ही घटती
है। घर
की जिम्मेदारी
हो या
ऑफिस की
ये कभी
खत्म नहीं
होती हैं।
इसलिए
आपको इनमें
तालमेल
बैठाकर
अपने मन
को शांत
रखना है। खाली
दिमाग
शैतान
का घर
होता है,इसलिए
हमेशा
अपने आप
को व्यस्त
रखें। व्यस्त
रखने के
लिए घर
का कार्य, टी
वी देखना, किताबे
पढ़ना, गाने
सुनना
आदि कर सकते
हो। क्योंकि
जितना आप
खाली रहेगे
गलत विचार
आपको परेशान
करेगें। डरें
नहीं कई
बार बेवजह
की उलझनें
दिमाग
मे नकारात्मकता
लाती और
बेकार
ही दिमाग
खराब करती
है। अपने
दिमाग
को शांत
रखने के
लिए अपने
विचारों
को किसी
सुंदर
सी प्राकृतिक
और शांत
माहौल
वाली जगह
पर ले
जाएं। पेड़
पौधो के
पास जाए
हरी घास
पर चहल
कदमी करे।
कभी
बच्चो
के साथ
बच्चो
के खेल
खेले।
नशीली
चीजों
जैसे धूम्रपान,शराब,जुआ
इन का
प्रयोग, बंद
कर दें
यह आपको
टेंशन
और नकारात्मक चीजों
से मुक्ति
नहीं देती
वरन धीरे-धीरे
आपकी सेहत
को खराब
कर आपका
आत्मविश्वास
घटा देती
है जिसकी
वजह से
इंसान
बीमारी
के साथ
अवसाद
से ग्रसित
हो जाता
है। योग
और ध्यान
की शक्ति के
द्वारा बड़े
से बड़े
नकारात्मक
विचारों
को खत्म
किया जा
सकता है।
इस से
मन में
शांति
और उर्जा पैदा
होती है।
जितना
हो सके
ध्यान
लगाकर
अपने मन को
एकाग्र
करने का
यत्न किया
करे।हो
सके तो
किसी की
मदद करने
मे समय
लगाए आपको
खुशी के
साथ दुवाए
भी मुफ्त
मिलेगी। लोग क्या कहेंगे यह बिलकुल न सोचे आप अच्छा
करते चलिए।कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना.......... खूब
हंसा करे
और दूसरों
को भी हंसाने
का प्रयास
करे। इस
बात का
ख्याल
जरूर रखे किसी
की मजाक
मे भी
बेइज्जती
न होने
पाए।
अगर
गलती से
ऐसा हो
जाए तो
माफी मांग
कर फिर
से नई
शुरुवात
करे। इससे
भी सकारात्म
सोच मे
इजाफा [बड़ोतरी] ही
होगा। माफी
मांग कर
आप छोटे
नही होंगे
बल्कि
आपका मान-सम्मान
और बड़ेगा।
आपका
मित्र
अनिल भवानी ।