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- मृग [हिरण]की तरह खुशी की खुशबू को बाहर खोजता इंसान........
Posted by : achhiduniya
30 May 2015
खुशिया ही खुशिया हो दामन मे तेरे.......
एक दूसरे से आगे बड़ने की अन्धी दौड़ मे इंसान अंजाने मे एक बहुत ही कीमती चीज अपनी खुशी को होता जा रहा है।जब फुर्सत मे होता है,तो इसे पाने के लिए टेलीविज़न, कंप्यूटर,सिनेमा और घूमने फिरने मे तलाशता है। लेकिन उसके हाथ क्षणिक यानी कुछ पल की खुशी मिलती है। आपके अंदर ही खुशी देने वाला डॉक्टर होता है जरूरत है उससे इलाज कराने की।
तनाव और चिंता के जीवाणुओं को ऐसे चिपकाये रखते हैं कि इस डॉक्टर को इलाज का मौका ही नहीं देते।ये जीवाणु हर पल हमारे तन-मन को कमजोर बनाते रहते हैं। हम ऐसी चिंताओं से ग्रसित रहते हैं, जो असल में होती ही नहीं। हालात ऐसे हो जाते हैं कि छोटी-छोटी बातें भी चिंता-तनाव और नकारात्मक विचारों का कारण बन जाती हैं। आखिर हम दिलखुश डॉक्टर को अपने पास रख क्यों नहीं पाते.
